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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से 7,277 करोड़ का बैंक लोन बना एनपीए - बैंक लोन

नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को संसद को सूचित किया कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत मार्च 2018 के अंत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 7,277.31 करोड़ रुपये के ऋण खराब हो गए हैं.

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Published : Feb 13, 2019, 11:08 AM IST

वित्त मंत्रालय के राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने राज्यसभा को एक लिखित जवाब में कहा कि सभी सदस्य ऋण संस्थानों (एमएलआई) द्वारा मार्च 2018 तक पीएमएमवाई के तहत विस्तारित ऋण 5.71 लाख करोड़ रुपये थे.

उन्होंने कहा कि पीएमएमवाई के तहत ऋण को माइक्रो यूनिट्स (सीजीएफएमयू) के लिए क्रेडिट गारंटी फंड के तहत कवर किया जा सकता है. सीजीएफएमयू का गठन 10 लाख रुपये तक के माइक्रो लोन में डिफॉल्ट के खिलाफ भुगतान की गारंटी देने के उद्देश्य से किया गया है.

शुक्ला ने बताया कि 1 फरवरी 2019 को, 15.73 करोड़ से अधिक के ऋणों पर 7.59 लाख करोड़ रुपये का ऋण पीएमएमवाई के तहत एमएलएमवाई द्वारा दिया गया है, इस योजना के शुरू होने के बाद से पीएमएमवाई के तहत लगभग 73 प्रतिशत ऋण महिला उधारकर्ताओं के लिए बढ़ा दिए गए हैं.

एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए, शुक्ला ने कहा कि आरबीआई ने अवगत कराया है कि सूट-दायर करने वाले डिफॉल्टरों की सूची 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक की है और 25 लाख रुपये और अधिक के सूट-दायर विलफुल डिफॉल्टरों की सूची क्रेडिट इन्फॉरमेशन कंपनीज(सीआईसी) की वेबसाइटों पर सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है.

आरबीआई ने यह भी अवगत कराया है कि गैर-सूट दायर की गई डिफॉल्टरों की सूची 1 करोड़ रुपये और उससे अधिक के और गैर-सूट दायर किए गए विलफुल डिफॉल्टरों की सूची 25 लाख रुपये और उससे अधिक की है, जो प्रकृति में गोपनीय है और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट, 1934 की धारा 45ई के तहत प्रकटीकरण से छूट दी गई है .

इसके अलावा, आरबीआई ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सलाह दी है कि वे दिसंबर 2014 से उक्त सूची को सीधे सभी सीआईसी को भेजें, आरबीआई को नहीं.

उन्होंने आगे बताया कि आरबीआई ने सूट-दायर विलफुल डिफॉल्टरों की सूची को तिमाही आधार पर संकलित किया गया है और सूची का संकलन 31 दिसंबर 2018 को प्रक्रियाधीन है.

एक अन्य जवाब में, 15 जनवरी (2019) को शुक्ला ने कहा, रिफंड के 36,616 मामलों सहित 3,07,485 रिटर्न जांच के लिए लंबित हैं.

इन मामलों की छानबीन 31 दिसंबर, 2019 तक पूरी की जानी है और 31 जनवरी, 2019 तक रिफंड के लगभग 16.21 लाख दावे (गैर-छानबीन के मामले सहित) लंबित हैं.
(पीटीआई से इनपुट)
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