मुंबई: उच्चतम न्यालालय द्वारा टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री को बहाल करने के आदेश पर रोक लगाने के बाद अब मिस्त्री ने शीर्ष अदालत का रुख करते हुए एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को दूर करने की मांग की है और कहा है कि न्यायाधिकरण से उनके परिवार को और अधिक राहत मिलनी चाहिए थी.
मिस्त्री के परिवार की टाटा संस में 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उन्होंने अदालत में एक 'क्रॉस अपील' दायर की है. आमतौर पर क्रॉस अपील उसे कहते हैं, जिसमें किसी फैसले के कुछ पहलुओं के खिलाफ अपील की जाती है.
प्रधान न्यायाधीश अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें मिस्त्री को टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था. न्यायालय ने टाटा समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई गई है.
मिस्त्री ने याचिका में टाटा के साथ समूह के संबंधों को "60 साल से पुराने अर्ध-साझेदारी संबंध" के रूप में बताया है, जिसके पास टाटा संस की इक्विटी शेयर पूंजी का 18.37 प्रतिशत हिस्सा है और जिस हिस्सेदार की कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.
याचिका के मुताबिक मिस्त्री ने एनसीएलएटी के आदेश में कई विसंगतियों को ठीक किए जाने की मांग की है, जिनमें अल्पसंख्यक शेयरधारकों के कथित उत्पीड़न पर ध्यान नहीं देने के साथ ही टाटा संस को एक निजी लिमिटेड कंपनी में एक पद के रूप में परिवर्तित करना शामिल है. यह बदलाव मिस्त्री को 24 अक्टूबर, 2016 को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद हुआ.