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आर्थिक पैकेज में राहत नहीं मिलने से दूरसंचार उद्योग निराश

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा की. इसके तहत मनरेगा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कारोबार, कंपनी कानून में संशाधन, कारोबार सुगमता और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लिए उपायों को शामिल किया गया है.

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Published : May 17, 2020, 6:50 PM IST

आर्थिक पैकेज में राहत नहीं मिलने से दूरसंचार उद्योग निराश
आर्थिक पैकेज में राहत नहीं मिलने से दूरसंचार उद्योग निराश

नई दिल्ली: सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) आर्थिक पैकेज में दूरसंचार क्षेत्र के लिए राहत की घोषणा नहीं होने पर निराशा जताई है. कोरोना वायरस महामारी के बीच दूरसंचार क्षेत्र लाइसेंस शुल्क और अन्य शुल्कों में कटौती की उम्मीद कर रहा था.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा की. इसके तहत मनरेगा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा, कारोबार, कंपनी कानून में संशाधन, कारोबार सुगमता और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लिए उपायों को शामिल किया गया है.

सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने पीटीआई-भाषा से कहा, "अभी हमने इन घोषणाओं का पूरा ब्योरा नहीं देखा है. लेकिन हमें यह देखकर निराशा हुई कि लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं की डेटा और ट्रैफिक की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दिन-रात काम करने वाले दूरसंचार क्षेत्र के लिए पैकेज में विशेष कुछ नहीं है."

उन्होंने कहा, "हम इससे निराश है. इस उद्योग के महत्व तथा आगे नेटवर्क में निवेश करने की जरूरत को देखते हए हम क्षेत्र के लिए कुछ राहत की उम्मीद कर रहे थे. हम नए टावर लगाने, ग्राहकों की स्पीड की जरूरत को पूरा करने के लिए नए फाइबर में निवेश करने की जरूरत है. साथ ही आज हम कुछ नए क्षेत्रों मसलन घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) में समर्थन दे रहे हैं."

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उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर गांव लौट गए हैं. ऐसे में हमें ग्रामीण नेटवर्क को बेहतर करने की जरूरत होगी, जिससे 'कनेक्टविटी' सुनिश्चित हो सके.

मैथ्यूज ने कहा, "हम लाइसेंस शुलक और स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क में कमी चाहते थे. क्योंकि आपको उद्योग में नकदी की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि हम अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार हमारे आग्रह पर विचार करेगी. सांविधिक शुल्कों में कटौती के अलावा दूरसंचार उद्योग बिना इस्तेमाल के पड़े 35,000 करोड़ रुपये के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) इनपुट कर क्रेडिट के रिफंड की मांग कर रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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