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अमेरिकी प्रशासन की मंजूरी से खरीदा तेल, नहीं किया नियमों का उल्लंघन: रिलायंस

रिलायंस ने एक बयान में कहा कि वेनेजुएला की राष्ट्रीय तेल कंपनी पीडीवीएसए को तेल आपूर्ति के लिये तीसरे पक्ष के जरिये नकद भुगतान की रिपोर्ट पूरी तरह गलत और निराधार है.

अमेरिकी प्रशासन की मंजूरी से खरीदा तेल, नहीं किया नियमों का उल्लंघन: रिलायंस

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Published : Apr 20, 2019, 7:28 PM IST

नई दिल्ली: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शनिवार को कहा कि उसने वेनेजुएला पर अमेरिकी पाबंदी का कोई उल्लंघन नहीं किया है. उसने लातिन अमेरिकी देश से रूस की रोसनेफ्ट जैसी कंपनियों से कच्चे तेल की खरीद की है और इसकी पूरी जानकारी अमेरिकी प्रशासन को है.

रिलायंस ने एक बयान में कहा कि वेनेजुएला की राष्ट्रीय तेल कंपनी पीडीवीएसए को तेल आपूर्ति के लिये तीसरे पक्ष के जरिये नकद भुगतान की रिपोर्ट पूरी तरह गलत और निराधार है. बयान में कहा गया है कि रिलायंस ने वेनेजुएला से कच्चे तेल की खरीद रोसनेफ्ट (रूस की कंपनी) जैसी कंपनियों से की है. यह खरीद अमेरिकी पाबंदी से पहले की गयी.

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इसमें कहा गया है, "पाबंदी लगने के बाद से रिलायंस ने जो भी खरीद की, वह अमेरिकी विदेश विभाग (यूएसडीओएस) की जानकारी तथा मंजूरी से की. रिलायंस ने यूएसडीओस को मात्रा तथा लेन-देन के बारे में जानकारी दी है. इस प्रकार के लेन-देन से पीडीवीएसए को कोई भुगतान नहीं हुआ तथा इससे अमेरिकी प्रतिबंधों या नीतियों का उल्लंघन नहीं होता."

रिलायंस ने कहा कि ऐसे विक्रेताओं के साथ कीमत समझौता बाजार भाव पर हुआ तथा भुगतान का निपटान नकद या द्विपक्षीय रूप से उत्पाद की आपूर्ति के माध्यम से हुआ. बयान में कहा गया है, "यह रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है कि रिलायंस ने रोसनेफ्ट के जरिये पीडीवीएसए को भुगतान किया. इन सौदों में पीडीवीएसए केवल मूल आपूर्तिकर्ता रहा है क्योंकि कच्चे तेल उसके निर्यात संयंत्रों से आता है."

पिछले महीने रिलायंस ने कहा था कि उसने अमेरिकी प्रतिबंध झेल रहे वेनेजुएला से सभी तेल निर्यात बंद कर दिया है और जबतक पाबंदी नहीं हटायी जाती, बिक्री शुरू नहीं की जाएगी. रिलायंस वेनेजुएला से कच्चे तेल का बड़ा आयातक रहा है. उसने अपनी खरीद में एक तिहाई की कमी की है.

अमेरिका ने वेनेजुएला पर जनवरी 2019 में पाबंदी लगायी. इसका मकसद देश के कच्चे तेल के निर्यात पर अंकुश लगाना तथा समाजवादी राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को पद छोड़ने के लिये दबाव बनाना है.

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