नई दिल्ली: बड़े अधिकारियों को बहुत ज्यादा वेतन देने के रवैया पर रोक लगाने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी और विदेशी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए वेतन नियम कड़े करने का प्रावधान किया है. इसमें अधिक वेतन को वापस लेने का प्रावधान भी शामिल हैं.
आरबीआई ने इस संबंध में एक परिचर्चा पत्र जारी किया है. केंद्रीय बैंक का प्रस्ताव है कि बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पूर्ण कालिक निदेशक और अन्य प्रमुख कार्मिकों का 'वैरिएबल' वेतन उनके तय वेतन के 200 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता. पहले 'वैरिएबल' वेतन पर तय वेतन के 70 प्रतिशत तक की सीमा तय थी लेकिन इसमें कर्मचारियों को दी जाने वाली शेयर विकल्प योजना (ईसॉप्स) शामिल नहीं थी.
ये भी पढ़ें-दिसंबर 2018 तक 16 महीने में 2 करोड़ रोजगार पैदा हुए: सीएसओ रिपोर्ट
आरबीआई का निजी, विदेशी बैंकों के लिए वेतन नियम कड़े करने का प्रस्ताव
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निजी और विदेशी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए वेतन नियम कड़े करने का प्रावधान किया है. इसमें अधिक वेतन को वापस लेने का प्रावधान भी शामिल हैं.
बैंक क्षेत्र में ऊंचा वेतन और अत्याधिक जोखिम लेने के तरीकों पर केंद्रीय बैंक की नजर 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट समय से है. कई बार संगठन के लिए लंबी अवधि के जोखिम की पर्याप्त पहचान किए बिना ही कर्मचारियों को लघु अवधि का लाभ दे दिया जाता है. नए परिचर्चा पत्र में वेतन नियमों में बदलाव करने का प्रस्ताव है. इससे पहले इस तरह के दिशा निर्देश रिजर्व बैंक ने करीब सात साल पहले जारी किए थे.
बैंक ने कहा, "वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) के सिद्धांत और अनुपालन मानकों के अनुरूप 2012 के दिशानिर्देशों की समीक्षा की जा रही है. यह मानक अनुभव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर आधारित हैं. सुझाव है कि ईसॉप्स को भी 'वैरिएबल' वेतन का हिस्सा माना जाए.
सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक के अलावा वेतन नियमों में प्रस्तावित बदलाव जोखिम उठाने वालों और नियंत्रित कार्यकारी कार्यबल के लिए भी लागू होंगे. प्रस्तावित नियमों में परिवर्तनीय वेतन का न्यूनतम 50 प्रतिशत गैर-नकद स्वरूप में देने का प्रावधान है.
(भाषा)