नई दिल्ली : व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई पर आयोजित उच्च स्तरीय डीपीआईआईटी-फिक्की निवेशक गोलमेज सम्मेलन में डीपीआईआईटी के सचिव, अनुराग जैन ने कहा कि सरकार आयात कम करने, मूल्य संवर्धन और रोजगार बढ़ाने के लिए, एसी उद्योग के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना(पीएमपी) पर गौर करने के लिए तैयार है. जैन गोलमेज सम्मेलन में मौजूद कुछ मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) द्वारा उद्योग के लिए पीएमपी के बारे में दिए गए सुझावों का जवाब दे रहे थे.
जैन ने यह भी उल्लेख किया कि डीपीआईआईटी अब यह सुनिश्चित करेगा कि व्हाइट गुड्स के पीएलआई के तहत आने वाले इन सभी निवेशों को केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बहुत तेजी से मंजूरी प्राप्त हो ताकि पीएलआई के तहत निर्धारित लक्ष्यों को समय पर प्राप्त किया जा सके.
उन्होंने यह भी कहा कि हम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के उद्देश्य के लिए 'नेशनल सिंगल विंडो क्लीरेंस सिस्टम' को भी तेजी से ट्रैक करने की प्रक्रिया में हैं, जहां सभी आवेदन ऑनलाइन भेजे जा सकते हैं और ट्रैक भी किए जा सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रेस नोट 3 के तहत एफडीआई आवेदनों पर भी तेजी से कार्रवाई कर रही है.
जैन ने यह भी कहा कि पीएलआई योजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे उन क्षेत्रों को भी लाभ पहुंचाया जा सके, जहां भारत आगे बढ़ सकता है और साथ ही उभरते हुए क्षेत्रों को भी लाभान्वित तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सके.
डीपीआईआईटी के अपर सचिव अनिल अग्रवाल ने फिक्की इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई को जबरदस्त प्रतिक्रिया हासिल हुई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस योजना का मसौदा तैयार करते समय काफी सावधानी बरती है ताकि आगे चलकर इस योजना के क्रियान्वयन में कोई बाधा न आए.
व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई की यात्रा को साझा करते हुए, अग्रवाल ने कहा कि लगभग एक साल की अवधि में डीपीआईआईटी ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना को उद्योग की फीडबैक और मूल्य श्रृंखला में आम सहमति के आधार पर तैयार और कार्यान्वित किया गया था.
अनिल अग्रवाल ने कहा कि डीपीआईआईटी-फिक्की इन्वेस्टर राउंडटेबल में व्हाइट गुड्स उद्योग के डेढ़ सौ से अधिक सीईओ/सीएक्सओ ने पीएलआई में निवेशकों के विश्वास को दर्शाते हुए भाग लिया. घटक मूल्य श्रृंखला में अधिकांशं निवेशकों में छोटे और मध्यम क्षेत्र के नए उद्यम शामिल हैं, जो अब ओईएम की आपूर्ति करेंगे और वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत होंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि इस योजना का अच्छा प्रभाव रहा है, क्योंकि पूरे भारत में 50 से अधिक स्थानों पर विनिर्माण इकाइयां स्थापित की जा रही हैं या वे एसी और एलईडी की घटक श्रृंखला में व्हाइट गुड्स की पीएलआई योजना से लाभान्वित होंगी. अग्रवाल ने कहा कि ये इकाइयां गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में स्थित हैं.
राज्य | संयंत्रों की संख्या |
आंध्र प्रदेश | 5 |
गुजरात | 10 |
गोवा | 1 |
हरियाणा | 4 |
हिमाचल प्रदेश | 1 |
कर्नाटक | 2 |
महाराष्ट्र | 5 |
तमिलनाडु | 4 |
राजस्थान | 4 |
उत्तर प्रदेश | 6 |
तेलंगाना | 1 |
उत्तराखंड | 6 |
पश्चिम बंगाल | 1 |
कुल | 50 |
इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स विनिर्माण समिति, फिक्की के अध्यक्ष श्री मनीष शर्मा ने कहा कि एल्युमिनियम और तांबा उद्योग सहित एसी और एलईडी के विभिन्न घटको के लिए भारतीय निर्माताओं, एसएमई और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के 40 से अधिक संगठनों से 4500 करोड़ रुपए से प्रतिबद्ध निवेश के साथ एक उद्योग के रूप में हमारी उपलब्धियां सराहनीय हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और उद्योग के एक साझा उद्देश्य के लिए एक मंच पर आने से प्राप्त सामूहिक ज्ञान से सरकार और निवेशक, दोनों का ही विश्वास बढ़ा है. उन्होंने क्षेत्रीय संघों की उनके योगदान के लिए सराहना की जो प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर विजन के तहत प्राप्त मार्गदर्शन के कारण संभव हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि पीएलआई अपने साथ एक सकारात्मक मानसिकता के साथ प्रतिबद्धता भी लाती है, जो निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता बनाने के साथ-साथ पिछड़ गए एकीकरण के नए युग की शुरुआत करता है.
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण समिति, फिक्की के सह-अध्यक्ष जसबीर सिंह ने कहा, हम इस क्षेत्र में पीएलआई के लिए सरकार की पहल की सराहना करें, यह हमारे क्षेत्र के लिए घटक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव डालेगी, जो अगले 4-5 वर्षों में स्थानीय मूल्यसंवर्धन को 25 प्रतिशत के मौजूदा स्तर को बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक ले जाएगी. यह हमारे उद्योग की एक खोई हुई कड़ी थी, हम इतने कम समय में इतनी सुविचारित और विशिष्ट रूप से गठित योजना को शुरू करने के लिए डीपीआईआईटी का धन्यवाद करते हैं.