बिजनेस डेस्क, ईटीवी भारत: सरकार ने प्याज के निर्यात पर पाबंदी में ढील देते हुए बंगलोर रोज और कृष्णापुरम किस्म के प्याज के निर्यात की अनुमति दी है. इस छूट के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ी गयी हैं.
प्याज के निर्यात पर 14 सितंबर को पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी थी ताकि घरेलू बाजार में इसकी अपूर्ति बढ़ायी जा सके.
विदेश व्यापार महानिदेशालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि 31 मार्च 2021 तक बंगलोर रोज और कृष्णापुरम प्याज के 10,000 टन तक के निर्यात की अनुमति दी गयी है.
अधिसूचना के अनुसार इसका निर्यात केवल चेन्नई बंदरगाह से किया जा सकेगा.
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कर्नाटक के किसानों ने सरकार से 10,000 टन बंगलोर रोज किस्म के प्याज के निर्यात की छूट दिए जाने की अपील की थी क्यों कि यह प्याज भारतीय बाजार में नहीं खपता है. इसकी मांग मलेशिया, सिंगापुर, ताईवान और थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशियायी देशों में ज्यादा है.
बंगलोर रोज प्याज के निर्यातकों को कर्नाटक सरकार के बागवानी आयुक्त से वस्तु और उसकी मात्रा प्रमाणन का प्रमाणपत्र लेना होगा. इसी प्रकार कृष्णापुरम प्याज के निर्यातकों को आंध्र प्रदेश सरकार से प्रमाणपत्र लेना होगा. उन्हें स्थानीय व्यापार महानिदेशालय कार्यालयों में भी पंजीकरण कराना होगा जो निर्यात की निगरानी करेगा.
उल्लेखनीय रूप से 15 सितंबर को लागू होने वाले प्याज के निर्यात पर केंद्र के प्रतिबंध के बाद भारत के प्याज हब नासिक में किसानों ने इस कदम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. हालांकि, सरकार ने नासिक किस्म के प्याज के निर्यात को नहीं उठाया है.
निर्यातकों के निकाय फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन की ओर से हाल ही में प्याज की दो किस्मों के संबंध में हाल ही में निर्णय लिया गया है कि पिछले महीने वाणिज्य मंत्रालय ने बेंगलूरु के प्याज पर निर्यात प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था क्योंकि घरेलू बाजार में इस संस्करण की बहुत कम मांग थी.
खबरों के मुताबिक बेंगलूरु रोज का सालाना उत्पादन लगभग 60,000 टन प्रति वर्ष है. उत्पादन का लगभग 90% मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर और ताइवान जैसे देशों में भेज दिया जाता है.
वहीं, कृष्णपुरम प्याज की किस्म आमतौर पर इसके आकार और तीखापन के कारण रसोई में उपयोग नहीं की जाती है. प्याज थाईलैंड, हांगकांग, मलेशिया, श्रीलंका और सिंगापुर द्वारा आयात किया जाता है.