नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया की बिक्री को लेकर नये सिरे से प्रस्ताव तैयार कर रहा है. नये प्रस्ताव में कच्चे तेल की कीमतों एवं विनिमय दर में उतार-चढ़ाव जैसे मुद्दों को शामिल किये जाने की संभावना है.
सलाहकार कंपनी ईवाई ने पिछले साल इन्हें संभावित कारणों में गिना था, जिसकी वजह से राष्ट्रीय विमानन कंपनी को कोई खरीदार नहीं मिला था. मंत्रालय के प्रस्ताव को एअर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (एआईएसएएम) के पास भेजा जाएगा. इसमें मंत्रालय एअर इंडिया में सरकार की 100 प्रतिशत या 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव रख सकती है.
एयर इंडिया को बेचने के लिए नया प्रस्ताव तैयार कर रहा वित्त मंत्रालय
मंत्रालय के प्रस्ताव को एअर इंडिया विशिष्ट वैकल्पिक तंत्र (एआईएसएएम) के पास भेजा जाएगा. इसमें मंत्रालय एअर इंडिया में सरकार की 100 प्रतिशत या 76 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव रख सकती है.
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एआईएसएएम मुख्य रूप से मंत्रियों का समूह है. अरुण जेटली एवं सुरेश प्रभु के नये मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने के कारण इसका पुनर्गठन करना होगा. इन दोनों के स्थान पर अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं हरदीप सिंह पुरी को शामिल किया जाएगा. समिति के पुनर्गठन के समय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को फिर से शामिल किये जाने की संभावना है.
सरकार ने पिछले साल एअर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी और प्रबंधन नियंत्रण के लिए बोलियां आमंत्रित की थी लेकिन किसी ने बोली नहीं लगायी. इसके बाद विलय एवं अधिग्रहण को लेकर परामर्श देने वाली ईवाई ने एक रपट तैयार की थी, जिसमें बिक्री प्रक्रिया के विफल रहने के कारणों का उल्लेख किया गया था.
इन कारणों में सरकार की 24 प्रतिशत हिस्सेदारी, अत्यधिक कर्ज, कच्चे तेल की कीमतों एवं विनिमय दर में उतार-चढ़ाव, वृहत माहौल में बदलाव एवं अन्य कारणों को गिनाया गया था.
एक अधिकारी ने बताया कि ईवाई की रपट पर पिछले साल जून में एआईएसएएम की बैठक में चर्चा हुई थी. इसके बाद एअर इंडिया की बिक्री प्रक्रिया को टाल दिया गया था.
अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, "हम एअर इंडिया की बिक्री को लेकर एक नया प्रस्ताव एआईएसएएम के समक्ष रखेंगे. पिछले साल एअर इंडिया के विनिवेश के विफल रहने के बाद उठाये गए मुद्दों को भी शामिल किया जाएगा. एआईएसएएम को यह तय करना होगा कि सरकार 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री करेगी या 76 प्रतिशत की."