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फिक्की का निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार की तर्कसंगत लागत रुपरेखा का सुझाव

फिक्की ने एक बयान में कहा कि देश के शीर्ष अस्पतालों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से तैयार 'फिक्की कोविड-19 रिस्पांस टास्क फोर्स' ने तर्कसंगत खर्च का प्रारूप तैयार किया है.

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Published : Jun 5, 2020, 4:06 PM IST

फिक्की का निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार की तर्कसंगत लागत रुपरेखा का सुझाव
फिक्की का निजी अस्पतालों में कोविड-19 के उपचार की तर्कसंगत लागत रुपरेखा का सुझाव

नई दिल्ली: उद्योग संगठन फिक्की ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने मरीजों तथा पूरे समाज के भय को दूर करने के लिये निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस महामारी के मरीजों के उपचार के लिये तर्कसंगत लागत की रूपरेखा का सुझाव दिया है.

फिक्की ने एक बयान में कहा कि देश के शीर्ष अस्पतालों के प्रतिनिधियों की भागीदारी से तैयार 'फिक्की कोविड-19 रिस्पांस टास्क फोर्स' ने तर्कसंगत खर्च का प्रारूप तैयार किया है.

इसके तहत कहा गया है कि जो मरीज अपने उपचार का खर्च स्वयं वहन कर रहे हैं, उन्हें आइसोलेशन वार्ड में उपचार के लिये प्रति दिन 17 हजार रुपये का भुगतान करना चाहिये. टास्क फोर्स ने इसके अलावा वेंटिलेटर से लैस आईसीयू में उपचार के लिये प्रति दिन 45 हजार रुपये के भुगतान का सुझाव दिया है.

फिक्की ने बयान में कहा कि सुझायी गयी दरों में दवा व मूल जांच आदि का खर्च शामिल है, लेकिन व्यक्तिगत सुरक्षा परिधान (पीपीई) व अन्य महंगी दवाओं का खर्च इससे अतिरिक्त होगा. संगठन ने कहा कि ये दरें सिर्फ सांकेतिक हैं और अलग-अलग मामलों के हिसाब से ये पांच-दस प्रतिशत ऊपर-नीचे रह सकती हैं.

फिक्की की अध्यक्ष व अपोलो हॉस्पिटल्स समूह की संयुक्त प्रबंध निदेशक डॉ संगीता रेड्डी ने कहा, "निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र इस कठिनतम समय में पूरी नैतिकता, पारदर्शिता, पेशेवर योग्यता और सहानुभूति के साथ सेवा देने की कोशिश कर रहा है."

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फिक्की की स्वास्थ्य सेवा समिति और मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ आलोक रॉय ने कहा, "यह स्वीकार करना होगा कि कोविड-19 के इलाज के खर्चों को तर्कसंगत बनाना मुश्किल है, क्योंकि उपचार का स्वरूप ज्ञात नहीं होता है और मरीजों को विभिन्न अन्य बीमारियां भी होती हैं. इतना ही नहीं, कोविड-19 और गैर-कोविड मरीजों को अलग रखना भी आवश्यक है. इसके लिये बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश करना होगा. हमने जिस तरह लागतों की सिफारिश की है, मुमकिन है उस पर निजी क्षेत्र काम करने में असमर्थ हों, लेकिन राष्ट्रीय संकट के समय यह हमरा नैतिक दायित्व है कि हम मरीजों को उचित लागत पर सर्वोत्तम उपचार दें."

(पीटीआई-भाषा)

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