नई दिल्ली:आलू और प्याज के बाद अब खाने के तेल में भी महंगाई का जबरदस्त तड़का लगा है. तमाम खाद्य तेल और तिलहनों के दाम में जोरदार उछाल आया है और निकट भविष्य में खाने के तेल की महंगाई से राहत मिलने के आसार नहीं दिख रहे हैं.
मलेशिया में पाम तेल के उत्पादन में कमी के चलते घरेलू वायदा बाजार में क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के भाव में बीते छह महीने में 53 फीसदी की तेजी आई है. सोयाबीन और सरसों में भी लगातार तेजी देखी जा रही है.
तेल-तिलहन बाजार के जानकार बताते हैं कि भारत में इस समय सरसों, सोया तेल और पाम तेल का भाव सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है और विदेशों से आयात महंगा होने से आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी की संभावना बनी हुई है.
बाजार सूत्रों के अनुसार, देशभर में कच्ची घानी सरसों का थोक भाव गुरुवार को 1,155 रुपये प्रति 10 किलो था, जबकि सोया तेल का थोक भाव 995-1010 रुपये प्रति 10 किलो और पाम तेल (आरबीडी) का भाव 935 से 945 रुपये प्रति 10 किलो था. वहीं, सूर्यमुखी तेल का थोक भाव 1,180 रुपये से 1,220 रुपये प्रति 10 किलो था.
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर गुरुवार को सीपीओ का भाव बीते सत्र से करीब दो फीसदी की तेजी के साथ 869.70 रुपये 10 प्रति किलो तक उछला, जबकि सात मई 2020 को सीपीओ का अनुबंध 567.30 रुपये प्रति 10 किलो तक टूटा था. इस प्रकार, बीते छह महीने में सीपीओ के दाम में 53 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है.
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि मलेशिया में पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आने से कीमतों में तेजी आई है. उन्होंने बताया कि क्रूड पाम तेल के साथ-साथ देश में सरसों और सोयाबीन की कीमतों तेजी को देखते हुए आने वाले दिनों में खाने के तेलों की कीमतों में और तेजी की संभावना बनी हुई है.