मुंबई : वर्तमान में टीवी कंटेंट सास-बहू के फार्मूले से इतना अधिक प्रभावित है कि एक आकार बदलने वाली नागिन एक संयुक्त परिवार की आदर्श बहू बनने के लिए शादी कर रही है.
इस समय में जब दुनिया महिला सशक्तिकरण के इर्द-गिर्द नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वहीं हमारे टीवी शो दुर्भाग्य से महिलाओं का कमजोर दिखा रहे हैं, जो कि हर उन मुद्दों पर आंसू बहा रही हैं, जो वास्तविकता से परे है.
2000 के दशक के शो में लेडीज स्पेशल के रूप में उम्मीद की एक किरण दिखी थी, लेकिन इस तरह के धारावाहिकों को इतनी दूर रखा गया था कि वे छोटे पर्दे पर उत्सवों के बीच गायब हो गए.
लेकिन एक समय था जब टीवी शो की फीमेल कैरेक्टर्स सामाजिक, राजनीतिक और लिंग आधारित और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय देती थीं. वर्तमान समय में दर्शकों के रूप में हम उन मजबूत नेतृत्व वाली, महत्वाकांक्षी और उग्र महिलाओं से वंचित हैं. तो आइए 80 और 90 के दशक की उन साहसी और गज़ब की महिला किरदारों को देखें जिन्होंने उस महिला नायक के रूप में उस चीज को दिखाया. जिसकी जरूरत हमें पहले से ज्यादा अब है.
उड़ान से कल्याणी
'उड़ान' संभवत: महिला सशक्तिकरण पर प्रसारित होने वाला पहला भारतीय टेलीविजन शो था. 1989 से 1991 तक दूरदर्शन पर प्रसारित यह धारावाहिक 'उड़ान' कंचन चौधरी भट्टाचार्य के वास्तविक जीवन पर आधारित थी, जो कि किरण बेदी के बाद देश की पहली महिला पुलिस महानिदेशक और दूसरी भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी थीं. इस शो में कल्याणी सिंह का किरदार कविता चौधरी निभा रही थीं. शो की निर्माता भी वही थीं और उसकी कहानी लिख भी वही रही थीं. सिर्फ लिख ही नहीं रही थीं बल्कि साथ-साथ उस कहानी को जी भी रही थीं. कल्याणी सिंह का किरदार कविता की बड़ी बहन कंचन चौधरी पर ही बेस्ड था. कल्याणी का साहस, सूझबूझ, और कठिन से कठिन परिस्थितियों में फौरन लड़ पड़ने का जज्बा उस समय के दर्शकों में गजब का जोश भर रहा था.
रजनी से रजनी
बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित 'रजनी' हर भारतीय गृहिणी के चेहरे के साथ-साथ उनकी समस्याओं की आवाज बन गई थी. स्वर्गीय प्रिया तेंदुलकर द्वारा अभिनीत मुख्य किरदार रजनी ने गृहिणियों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं और उनके सहज समाधानों को चित्रित किया. रजनी एक घरेलू नाम बन गई. इसने गृहणियों को भ्रष्टाचार से लेकर मूल्यवृद्धि तक की रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने की दिशा में नारी सशक्तिकरण की एक नई समझ दी. इस शो का प्रसारण रविवार सुबह आधे घंटे तक होता था. हर एपिसोड में नए सामाजिक-आर्थिक मुद्दे थे, जिन्हें सुलझाने के लिए रजनी लड़ाई लड़ती थीं.
शांति - एक और की कहानी से शांति
'शांति - एक औरत की कहानी' फिल्म उद्योग के दो प्रभावशाली और धनी भाइयों द्वारा बेटी का बलात्कार किए जाने के बाद एक मां-बेटी की न्याय की लड़ाई की कहानी है. पीड़ित होने के बावजूद, शांति ने बताया कि महिलाएं कैसे एक तरफा लड़ाई लड़ सकती हैं और जीत सकती हैं. मंदिरा बेदी ने एक महत्वाकांक्षी पत्रकार की भूमिका निभाई जो न्याय के लिए अकेले दम पर लड़ती है और अंत में विजयी होती है. शो में एक महिला चरित्र को इतना मजबूत, जटिल और परस्पर-स्तर पर चित्रित किया गया है जो पुरुष वर्चस्व को सहजता से संभालती है. इसे पहली बार 1994 में प्रसारित किया गया. इसे आज भी एक प्रतिष्ठित भारतीय टीवी शो के रूप में याद किया जाता है.