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80 और 90 के दशक के टीवी शो की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है आज

आज के समय में टीवी कंटेंट पर अगर आप एक क्षण विचार करें तो आपको ऐसा लगेगा कि मनोरंजन का सबसे अधिक उपभोग किया जाने वाला माध्यम अब 80 और 90 के दशक की गुणवत्ता की तुलना में चमक और ग्लैमर के साथ कहीं खो गया है. कभी न खत्म होने वाली सास-बहू की गाथा जहां कहानी का मुख्य सरोकार "रसोड़े में कौन था" है, उसी में सिमट कर रह गया है. वेस्टर्न रियलिटी शो में इंडियन तड़का देकर सीरीयल बनाना आज मुख्य रूप से एक सेट फॉर्मूला बन चुका है.

Sheroes from 80s and 90s that TV needs today more than ever
Sheroes from 80s and 90s that TV needs today more than ever

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Published : Nov 20, 2020, 5:47 PM IST

Updated : Nov 20, 2020, 5:58 PM IST

मुंबई : वर्तमान में टीवी कंटेंट सास-बहू के फार्मूले से इतना अधिक प्रभावित है कि एक आकार बदलने वाली नागिन एक संयुक्त परिवार की आदर्श बहू बनने के लिए शादी कर रही है.

इस समय में जब दुनिया महिला सशक्तिकरण के इर्द-गिर्द नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वहीं हमारे टीवी शो दुर्भाग्य से महिलाओं का कमजोर दिखा रहे हैं, जो कि हर उन मुद्दों पर आंसू बहा रही हैं, जो वास्तविकता से परे है.

2000 के दशक के शो में लेडीज स्पेशल के रूप में उम्मीद की एक किरण दिखी थी, लेकिन इस तरह के धारावाहिकों को इतनी दूर रखा गया था कि वे छोटे पर्दे पर उत्सवों के बीच गायब हो गए.

लेकिन एक समय था जब टीवी शो की फीमेल कैरेक्टर्स सामाजिक, राजनीतिक और लिंग आधारित और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी राय देती थीं. वर्तमान समय में दर्शकों के रूप में हम उन मजबूत नेतृत्व वाली, महत्वाकांक्षी और उग्र महिलाओं से वंचित हैं. तो आइए 80 और 90 के दशक की उन साहसी और गज़ब की महिला किरदारों को देखें जिन्होंने उस महिला नायक के रूप में उस चीज को दिखाया. जिसकी जरूरत हमें पहले से ज्यादा अब है.

उड़ान से कल्याणी

उड़ान से कल्याणी

'उड़ान' संभवत: महिला सशक्तिकरण पर प्रसारित होने वाला पहला भारतीय टेलीविजन शो था. 1989 से 1991 तक दूरदर्शन पर प्रसारित यह धारावाहिक 'उड़ान' कंचन चौधरी भट्टाचार्य के वास्तविक जीवन पर आधारित थी, जो कि किरण बेदी के बाद देश की पहली महिला पुलिस महानिदेशक और दूसरी भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी थीं. इस शो में कल्याणी सिंह का किरदार कविता चौधरी निभा रही थीं. शो की निर्माता भी वही थीं और उसकी कहानी लिख भी वही रही थीं. सिर्फ लिख ही नहीं रही थीं बल्कि साथ-साथ उस कहानी को जी भी रही थीं. कल्याणी सिंह का किरदार कविता की बड़ी बहन कंचन चौधरी पर ही बेस्ड था. कल्याणी का साहस, सूझबूझ, और कठिन से कठिन परिस्थितियों में फौरन लड़ पड़ने का जज्बा उस समय के दर्शकों में गजब का जोश भर रहा था.

रजनी से रजनी

रजनी से रजनी

बासु चटर्जी द्वारा निर्देशित 'रजनी' हर भारतीय गृहिणी के चेहरे के साथ-साथ उनकी समस्याओं की आवाज बन गई थी. स्वर्गीय प्रिया तेंदुलकर द्वारा अभिनीत मुख्य किरदार रजनी ने गृहिणियों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं और उनके सहज समाधानों को चित्रित किया. रजनी एक घरेलू नाम बन गई. इसने गृहणियों को भ्रष्टाचार से लेकर मूल्यवृद्धि तक की रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटने की दिशा में नारी सशक्तिकरण की एक नई समझ दी. इस शो का प्रसारण रविवार सुबह आधे घंटे तक होता था. हर एपिसोड में नए सामाजिक-आर्थिक मुद्दे थे, जिन्हें सुलझाने के लिए रजनी लड़ाई लड़ती थीं.

शांति - एक और की कहानी से शांति

शांति - एक और की कहानी से शांति

'शांति - एक औरत की कहानी' फिल्म उद्योग के दो प्रभावशाली और धनी भाइयों द्वारा बेटी का बलात्कार किए जाने के बाद एक मां-बेटी की न्याय की लड़ाई की कहानी है. पीड़ित होने के बावजूद, शांति ने बताया कि महिलाएं कैसे एक तरफा लड़ाई लड़ सकती हैं और जीत सकती हैं. मंदिरा बेदी ने एक महत्वाकांक्षी पत्रकार की भूमिका निभाई जो न्याय के लिए अकेले दम पर लड़ती है और अंत में विजयी होती है. शो में एक महिला चरित्र को इतना मजबूत, जटिल और परस्पर-स्तर पर चित्रित किया गया है जो पुरुष वर्चस्व को सहजता से संभालती है. इसे पहली बार 1994 में प्रसारित किया गया. इसे आज भी एक प्रतिष्ठित भारतीय टीवी शो के रूप में याद किया जाता है.

तारा से सभी महिलाएं

तारा से सभी महिलाएं

1993 में प्रसारित तारा चार शहरी महिलाओं और उनकी दोस्ती, महत्वाकांक्षा, प्रेम और रहस्य के बारे में थी. इस शो में रत्ना पाठक शाह, नेहा शरद और अमिता रंगिया के साथ नवनीत निशान ने मुख्य भूमिका निभाई थी. उन दिनों इस शो ने परिभाषित किया कि स्त्रीवाद और विषय निश्चित रूप से अपने समय से आगे थे. शो ने 52 एपिसोड की योजना के साथ उड़ान भरी, लेकिन ऐसी प्रतिक्रिया थी कि यह 500 से अधिक एपिसोड के लिए समाप्त हो गई.

औरत से प्रगति

औरत से प्रगति

टीवी शो 'औरत' में मंदिरा बेदी ने प्रगति की मुख्य भूमिका निभाई, जो एक सफल वकील बनने के लिए शादी के बाद शिक्षा लेने के लिए अपने परिवार के खिलाफ चली गई. श्रृंखला समाज में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों को दर्शाती है.

क्षितिज ये नहीं से निशा

क्षितिज ये नहीं से निशा

1990 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले शो 'क्षितिज ये नहीं' में सुप्रिया पिलगांवकर ने मुख्य किरदार निशा की भूमिका निभाई. निशा एक युवा विधवा और 10 साल के बच्चे की एक मां हैं. यह शो एक विधवा के फिर से विवाह करने के संवेदनशील मुद्दे से संबंधित है और कैसे एक महिला साहसपूर्वक समाज द्वारा उसके लिए तय किए गए अर्थहीन नियमों को तोड़ती है. ये दिखाया गया है.

सांस से प्रिया

सांस से प्रिया

शो 'सांस' में, नीना गुप्ता ने प्रिया की भूमिका निभाई जो अपने पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का पता लगाती है. निराशा और दर्द के आगे झुकने के बजाय प्रिया अपनी अलग पहचान बनाती है. वह प्रतिकूलता के खिलाफ चट्टान की तरह खड़ी रहीं और अपने लिए समाज से लड़ीं भी. नीना गुप्ता शो की लीड और डायरेक्टर दोनों थीं.

आरोहण से निकिता और निवेदिता

आरोहण से निकिता और निवेदिता

'आरोहण' की निकिता सचदेव और निवेदिता सेन अपने समय से बहुत आगे थीं. उन्होंने भारतीय नौसेना में शामिल होने के इच्छुक मजबूत इरादों वाली महिलाओं की कहानी को दर्शाया. इस शो के केवल 13 एपिसोड थे लेकिन दर्शकों पर इसका असर लंबे समय तक रहा. इस तथ्य की बात के लिए कि उस समय यह शो ऑन एयर था, भारतीय नौसेना में महिलाओं को लड़ाकू बलों में शामिल होने की अनुमति नहीं थी. यह शो पल्लवी जोशी द्वारा लिखा और निर्मित किया गया था.

Last Updated : Nov 20, 2020, 5:58 PM IST

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