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राफेल घोटालाः युवा कांग्रेस ने फिर बनाया मुद्दा, निष्पक्ष जांच की मांग

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Published : Apr 8, 2021, 1:49 PM IST

राफेल घोटाले को लेकर आज युवा कांग्रेस ने दिल्ली के रायसीना रोड स्थित पार्टी कार्यालय के पास प्रदर्शन किया. उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की. साथ ही प्रधानमंत्री से इसपर स्पष्टीकरण मांगा है. पढ़ें पूरी खबर...

राफेल घोटाला
राफेल घोटाला

नई दिल्लीः दो साल बाद कांग्रेस के खेमे में 'चौकीदार चोर है' का नारा फिर से गुंजने लगा है. एक बार फिर से युवा कांग्रेस ने राफेल घोटाले को मुद्दा बनाया है. इस मुद्दे को लेकर दिल्ली के रायसीना रोड स्थित भारतीय युवा कांग्रेस के कार्यालय के पास प्रदर्शन किया गया.

युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कहा है कि 'न खाउंगा, न खाने दुंगा' लेकिन मोदी सरकार में अब कमीशन और बिचौलिये भी सामने आने लगे हैं. उन्होंने कहा कि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का बयान 'चौकीदार चोर है', अब सच होता नजर आ रहा है.

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उन्होंने कहा कि देश में जब डिफेंस के सामानों की खरीदी से जुड़े सौदे होते हैं, उस वक्त प्रक्रिया में पारदर्शिता होना अनिवार्य है. ऐसे में राफेल सौदे में बिचौलिये की संलिप्तता, घुसखोरी और कमीशन का लेनदेन नहीं होना चाहिए.

श्रीनिवास ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से कमीशन लेने वाले बिचौलिये पर सवाल किया है. उन्होंने राफेल घोटाले में घुसखोरी के आरोपों की निष्पक्ष जांच और प्रधानमंत्री द्वारा इस पर स्पष्टीकरण की मांग की है.

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बता दें कि फ्रांसीसी प्रकाशन 'मीडियापार्ट' ने देश की भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसी की एक जांच का हवाला देते हुए बताया कि दसॉल्ट एविएशन ने विमान के 50 मॉडलों के लिए डिफसिस सॉल्यूशंस को लगभग 10 लाख यूरो का भुगतान किया था, जिन्हें उपहार के रूप में दिया जाना था.

मीडिया की खबर में कहा गया है कि एजेंसी फ्रांसेसे एंटिकॉरप्शन (एएफए) के निरीक्षकों को इस बात का कोई सबूत नहीं दिया गया कि ये मॉडल बनाए गए थे.

डिफसिस सॉल्यूशंस ने मंगलवार को एक बयान और टैक्स इनवॉइस जारी करते हुए कहा कि आरोप पूरी तरह से निराधार हैं.

कंपनी ने एक बयान में कहा, यह दावा पूरी तरह से निराधार, बेबुनियाद और भ्रामक है जो मीडिया के कुछ हिस्से में किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि डिफसिस ने कभी भी राफेल विमानों की 50 प्रतिकृति मॉडल की आपूर्ति नहीं की.

कंपनी ने कहा कि रक्षा कंपनी से प्राप्त खरीद आर्डर के आधार पर राफेल विमानों की 50 प्रतिकृति मॉडल दसॉल्ट एविएशन को पहुंचाए गए थे.

कंपनी ने कहा, ऐसी आपूर्ति से संबंधित डिलीवरी चालान, ई-वे बिल और जीएसटी रिटर्न संबंधित अधिकारियों के साथ विधिवत दाखिल किए गए हैं.

मीडियापार्ट ने अपनी खबर में कहा, दसॉल्ट समूह एएफए को यह दिखाने के लिए कि एक भी दस्तावेज मुहैया नहीं करा पाया कि ये मॉडल मौजूद थे और इनकी अपूर्ति की गई थी, एक तस्वीर भी नहीं. निरीक्षकों को संदेह है कि यह एक फर्जी खरीद थी जिसे गुप्त वित्तीय लेनदेन को छुपाने के लिए तैयार किया गया था.

केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

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