हैदराबाद : हर साल 13 अगस्त को अंगदान दिवस (Organ Donation Day) मनाया जाता है. जागरूकता की कमी के कारण अंगदान को लेकर लोगों के मन में भ्रांतियां और डर (myths and fears) हैं. इस दिन का उद्देश्य सामान्य मनुष्य को मृत्यु के बाद अंग दान करने की प्रतिज्ञा के लिए प्रेरित करना और अंग दान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है.
दाता की मृत्यु के बाद, उन्हें किसी अन्य व्यक्ति में ट्रांसप्लांट (transplanting) करने के उद्देश्य से जिसे अंग की आवश्यकता होती है. अंग दान एक दाता के अंगों जैसे हृदय, यकृत, गुर्दे, आंतों, फेफड़े और अग्न्याशय को दान कर सकता.
क्या है अंगदान?
अंगदान उस व्यक्ति को अंग का उपहार है, जिसे अपनी स्थिति और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिए प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें एक मृत व्यक्ति के अंगों को जीवित शख्स में प्रत्यारोपित किया जाता है.
एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में हर साल लगभग: 500,000 लोग अंगों की अनुपलब्धता के कारण मर जाते हैं, 200,000 लोग लीवर की बीमारी से मर जाते हैं, और 50,000 लोग हृदय रोग के कारण मर जाते हैं.
इसके अलावा, 150,000, लोग किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant) की प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन उनमें से केवल 5,000 ही किडनी ले पाते हैं. अंग दाता दूसरों के जीवन को बचाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. दाता के अंग को उस रोगी को प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जिसे इसकी तत्काल आवश्यकता है.
2015 तक भारत के सांख्यिकीय डेटा से पता चलता है कि 1.75 लाख किडनी प्रत्यारोपण की मांग के जवाब में, केवल 5000 प्रत्यारोपण ही पूरे किए गए थे.
50,000लोगों की किडनी फेलिया से मृत्यु हो गई थी. इसके अलावा केवल एक हजार लोगों का प्रत्यारोपण हुआ.
दिल और फेफड़ों जैसे अंगों के लिए ये आंकड़े और भी चिंताजनक हैं. भारत में लगभग 0.5 मिलियन लोग हर साल उन कारणों से मर जाते हैं, जिन्हें अंग प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता है . भारत में अंग दान की दर 0.01 प्रतिशत है, जो क्रोएशिया जैसे देशों की तुलना में एक छोटा सा आंकड़ा है. क्रोएशिया में 36.5 प्रतिशत और स्पेन में 35.3% है अंग दान होता है.
अंगदान से जुड़े अहम तथ्य
कोई भी शख्स अंग दाता हो सकता है. अंगदान करने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती. अंग दान करने का निर्णय सख्त चिकित्सा मानदंडों पर आधारित होता है, न कि उम्र पर.
अंग की विफलता के बाद, हृदय, यकृत, आंतों, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे महत्वपूर्ण अंगों को रोगी में प्रत्यारोपित किया जा सकता है, ताकि प्राप्तकर्ता को सामान्य जीवन जीने में मदद मिल सके.
प्राकृतिक मृत्यु के मामले में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा और हड्डी जैसे ऊतक दान किए जा सकते हैं, लेकिन हृदय, यकृत, गुर्दे, आंत, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे महत्वपूर्ण अंग केवल 'मस्तिष्क मृत्यु' के मामले में ही दान किए जा सकते हैं.
हृदय, अग्न्याशय, यकृत, गुर्दे और फेफड़े जैसे अंगों को उन प्राप्तकर्ताओं में प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जिनके अंग विफल हो रहे हैं.