नई दिल्ली : विश्व बैंक ने मंगलवार को भारत की अर्थव्यवस्था में 2021-22 के दौरान 8.3 फीसद और 2022-23 में 7.5 फीसद की वृद्धि का अनुमान लगाया है. विश्व बैंक ने यह अनुमान कोविड-19 की अप्रत्याशित दूसरी लहर से रिकवरी में बाधा आने के बाद जताया है.
वॉशिंगटन में आधारित वैश्विक कर्जदाता ने अपने ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोसपेक्टस रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा कि भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर वित्त वर्ष 2021-22 के दूसरे भाग में उम्मीद से ज्यादा तेज रिकवरी को रोक रही है, खासकर आर्थिक गतिविधि में.ध्यान देने वाली बात यह है कि 8.3 फीसद की वृद्धि दर 2020-21 में 7.3 फीसदी की गिरावट के बाद आने की उम्मीद है. यानी 2021-22 के अंत में देश की जीडीपी 2019-20 के मुकाबले बमुश्किल एक फीसदी ज्यादा होगी. इसका मतलब दो साल में एक फीसदी की ग्रोथ होना है. इससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में यानी कोरोना संकट से पहले भी देश की जीडीपी ग्रोथ रेट केवल 4 फीसदी थी.
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देश के शीर्ष सांख्यिकी निकाय द्वारा 31 मई को जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 7.3 फीसद की गिरावट आई है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष की अंतिम दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था बेहतर के लिए एक कोण में बदल गई. विश्व बैंक ने कहा कि यह 2020 में एग्रेसिव नीति की वजह इसका एक प्रमुख कारण थी. इसमें ब्याज दरों में कटौती, सरकारी खर्च में वृद्धि, ऋण का विस्तार और वित्तीय और मौद्रिक नीतियों के रूप में गारंटी शामिल थी.
लेकिन भारत में कोरोना की दूसरी लहर की वजह से सेवा व विनिर्माण गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. वहीं कार्यस्थल और कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट यह दर्शाता है कि गतिविधियों में तेजी आ रही है. हालांकि विश्व बैंक ने कहा है कि दक्षिण एशिया में कोविड-19 के मामले बढ़ने से भारत में विशेष रूप से स्थिति कठिन रही है.
भविष्य की अनिश्चितता