कोलकाता: बाघजातिन के निवासी राहुल डे अपनी मां, पिता और दादी के साथ रहते हैं. लेकिन परिवार को 2020 में एक त्रासदी का सामना करना पड़ा. 19 अगस्त, 2020 को उन्हें अचानक पता चला कि वे एक जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं. उनकी एक किडनी पहले ही खराब हो चुकी है और दूसरी खराब होने की कगार पर है. शुरुआत में डायलिसिस और बाद में किडनी ट्रांसप्लांट ही उनकी एकमात्र दवा थी. लेकिन भले ही उनका अपना अंग खराब हो गया हो, लेकिन उन्होंने अंगदान के माध्यम से दूसरों के जीवन को आगे बढ़ाने का फैसला (young man donated his organs) किया.
बाघाजतिन अस्पताल के आसपास राहुल के पिता की एक छोटी सी स्टेशनरी की दुकान है. राहुल खुद पार्टी हॉल के केयरटेकर हैं, जिसे विभिन्न आयोजनों के लिए किराए पर दिया जाता है. कुल मिलाकर ये एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन 2020 में राहुल की शारीरिक स्थिति को देखते हुए उन्हें तीन अस्पतालों से भर्ती नहीं किया, लेकिन आखिरकार आयरिश अस्पताल में भर्ती कर लिया. 19 अगस्त को डाइग्नॉस होने के बाद, उन्होंने अगले ही दिन डायलिसिस शुरू कर दिया.
डॉ. अर्नब दुआरी की देखरेख में आईसीयू में चार डायलिसिस सत्रों से गुजरने के बाद राहुल का पुनर्जन्म हुआ. अब तक लगभग 230 डायलिसिस सत्र पूरे हो चुके हैं. इस मध्यमवर्गीय परिवार के लिए प्रति माह डायलिसिस का खर्च लगभग 25,000 रुपये है. राहुल ने शिकायत की कि एसएसकेएम अस्पताल में इलाज में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि 'इलाज के लिए एसएसकेएम अस्पताल जाने के बाद, मुझे वहां लगभग 35 परीक्षण करने का आदेश दिया गया था.'