नई दिल्ली :पश्चिमबंगाल में पार्टी के अंदरूनी झगड़ों से परेशान बीजेपी बहुत जल्द एक नई रणनीति लेकर आने वाली है. इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में काफी मंथन भी चल रहा है. सूत्रों की माने तो बंगाल के नेताओं की अब दिल्ली में आवाज सुनी जाएगी. केंद्रीय नेताओं के साथ बैठकों के दौर और बढ़ेंगे और जो भी शिकायतें हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी.पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह का बंगाल दौरा भी नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए ही आयोजित किया गया था. शाह ने कई नेताओं से आमने सामने बातचीत कर उन्हें पार्टी में समुचित सम्मान दिए जाने और आपसी घमासान को तुरंत खत्म करने की बात भी कही थी, मगर शाह के इस पश्चिम बंगाल के दौरे के तुरंत बाद ही पार्टी के सांसद अर्जुन सिंह ने अंततः पार्टी छोड़ दी और तृणमूल का दामन थाम लिया.
दरअसल अर्जुन सिंह पिछले कई महीनों से जूट की कीमत कम करने की मांग केंद्र से कर रहे थे, क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में जूट मिलों की बहुतायत है और उनके बार-बार केंद्र से मांग के बावजूद केंद्र सरकार की तरफ से इस पर ध्यान नहीं दिया गया. अर्जुन सिंह पार्टी के कद्दावर और बाहुबली तेज तर्रार नेताओं में से माने जाते थे और पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं से बीजेपी के लिए दो-दो हाथ करने में वो काफी मुखर भी रहे. यहां तक कि उनके ऊपर और उनके विधायक पुत्र दोनों के ही ऊपर कई बार टीएमसी की तरफ से जानलेवा हमला भी किया गया . बावजूद इसके वह पार्टी की काफी मुखर वक्ताओं में से एक रहे. लेकिन बाद में उन्होंने टीएमसी की तरफ से अत्यधिक दबाव होने की वजह बताते हुए टीएमसी का दामन थाम लिया.
विधानसभा चुनाव में 77 सीट लाने के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी पिछले मार्च महीने में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में बिल्कुल भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई जो भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ा धक्का था. विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का एक के बाद एक टीएमसी में घर वापसी का दौर शुरू हो चुका था, जिसमें से सबसे पहले मुकुल रॉय, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और अब अर्जुन सिंह ने पार्टी छोड़ दी. यही नहीं पार्टी सूत्रों की मानें तो दिलीप घोष और पार्टी के नेता अनुपम हाजरा के बीच भी खुलकर मतभेद सामने आ चुका है. पार्टी के आला नेता हर हाल में बाकी बचे बंगाल इकाई के बड़े चेहरों को टीएमसी में नहीं जाने देने की पूरी मशक्कत कर रहे हैं. यही वजह है कि जब अनुपम हाजरा और दिलीप घोष के बीच सार्वजनिक आरोप-प्रत्यारोप हुआ तो अंदर खाने पार्टी के आला नेताओं ने दोनों ही नेताओं से अलग-अलग बात भी की और पार्टी के आपसी मसलों को पार्टी के अंदर बैठकर सुलझाने की सिफारिश भी की.
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