हैदराबाद : इन दिनों लक्षद्वीप की अचानक से ही चर्चा होने लगी है. वहां के प्रशासक प्रफुल पटेल विवादों में हैं. उन्होंने कुछ नियमों को लेकर प्रस्ताव दिया है. उनका कहना है कि लक्षद्वीप को मालदीव के तर्ज पर विकसित किया जा सकता है. इससे न सिर्फ लोगों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि विश्व पर्यटन मैप पर भी प्रमुखता से उभरेगा. हालांकि, लक्षद्वीप के पूर्व प्रशासक एवं नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह इसे उचित नहीं मानते हैं. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की.
हबीबुल्लाह का कहना है कि लक्षद्वीप के प्रशासक ने जो भी नियम लाए हैं, वह गैर-जरूरी हैं. हबीबुल्लाह के अनुसार स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना उनकी सलाह के बहुत सारे ऐसे नियम बना दिए गए, जिसकी वजह से उनकी संस्कृति प्रभावित होगी. उनकी आजीविका संकट में पड़ सकती है. हालांकि प्रफुल पटेल का कहना है कि उन्होंने द्वीपसमूह में नेताओं के 'भ्रष्ट चलन' को खत्म करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं. इसे ट्विस्ट न दें.
पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि लक्षद्वीप में कई तरह के बदलाव किए जाने की चर्चा है. उनके अनुसार प्रस्तावित मसौदों में कई सारे ऐसे फैसले हैं, जिनसे वहां की जनजातीय आबादी और उनके अधिकार प्रभावित हो सकते हैं. लिहाजा, प्रशासक को बिना मशविरा किए कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये अच्छी बात है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा दिया है कि प्रस्तावित मसौदों पर वहां के निवासियों के साथ चर्चा की जाएगी.
आपको बता दें कि लक्षद्वीप के 37 द्वीपों में 11 द्वीपों पर आबादी बसती है. करीब 70 हजार यहां की आबादी है. दिसंबर में प्रफुल खोडा पटेल (Praful Khoda Patel) को यहां के प्रशासक की जिम्मेदारी दी गई थी. उसके बाद उन्होंने कई तरह के बदलावों की घोषणा की है. स्थानीय लोग इन मसौदों के कई प्रस्तावों का विरोध कर रहे हैं.
हबीबुल्लाह बताते हैं कि सुरक्षा, विकास और राज्य के विकास को आधार बताकर ये बदलाव किए जा रहे हैं. लेकिन सरकार इसकी आड़ में कुछ और करना चाहती है.
उन्होंने कहा कि नए कानूनों को थोपने की कोई जरूरत नहीं है. लक्षद्वीप के लिए आईलैंड विकास प्राधिकरण पहले ही नियम और नियमन को तय कर चुका है. इसकी अध्यक्षता खुद पीएम ने की है. इसमें पर्यावरणविद और कई विशेषज्ञ शामिल थे. उनका पालन होना जरूरी है.
पूर्व नौकरशाह हबीबुल्लाह (Ex bureaucrat Habibullah) ने कहा कि पटेल चाहते हैं कि लक्षद्वीप को मालदीव की तर्ज पर विकसित किया जाए. लेकिन पर्यावरणविद पहले ही ऐसे प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं. आईलैंड डेवलपमेंट ऑथरिटी ने मालदीव का दौरा किया था. उसके बाद उन्होंने बहुत ही गंभीरता से मालदीव मॉडल (Maldives Model) को लागू करने से मना कर दिया था. क्या वे चाहते हैं कि लक्षद्वीप (Lakshadweep) में भी मालदीव की तरह अतिवाद और चरमपंथी गतिविधि बढ़े. कृपया आपने दिमाग का इस्तेमाल कीजिए.