नई दिल्ली : एक अध्ययन में पाया गया कि पृथ्वी पर 640 लाख किलोमीटर की नदियों और धाराओं में से 51 से 60 फीसदी ने समय-समय पर बहना बंद कर दिया. ये दुनिया भर की ऐसी नदियों का पहला विश्लेषण है, जो साल भर नहीं बहती हैं या बारहमासी नहीं है.
इस अध्ययन में नदियों के बहाव में होने वाली रुकावट से भविष्य में होने वाले बदलावों का आकलन किया गया है. यह अध्ययन दुनिया भर में पानी और जैव रासायनिक आधार पर नदियों और धाराओं की भूमिका के निर्धारण और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.
यह इस तरह का पहला अध्ययन है, जो कि नदी विज्ञान और प्रबंधन (river science and management ) में नई जानकारी (new information) के आधार पर एक आदर्श बदलाव की मांग करता है. इसमें गैर-बारहमासी नदियों (non-perennial rivers) का एक नया नक्शा तैयार करने की मांग की गई है, जिससे यह बताया जा सके कि वैश्विक जल (global water) और जैव रासायनिक चक्रों (biochemical cycles) में इन नदियों और धाराओं की भूमिका की निगरानी कैसे की जाए?
शोध प्रकृति की मूलभूत अवधारणाओं को संशोधित करके नदी विज्ञान और प्रबंधन में एक आदर्श बदलाव की मांग करता है. अध्ययन के मुताबिक परंपरागत रूप से नदियों और धाराओं में साल भर जल प्रवाह (water flow ) होता है. यह गैर-बारहमासी नदियों और धारओं को बहुत मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्र (valuable ecosystems) मानता है, क्योंकि यह विशिष्ट प्रजातियां के लिए अनुकूलित हैं.
अध्ययन के परिणामस्वरूप गैर-बारहमासी नदियों का नक्शा, नदी के प्रवाह में आने वाली रुकावट और भविष्य के परिवर्तनों के आकलन करता है. इसके अलावा वैश्विक जल और जैव रासायनिक चक्र (biochemical cycles) में इन नदियों और धाराओं की भूमिका के निर्धारण और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण आधारभूत जानकारी प्रदान करता है.
ये नदियां लोगों के लिए महत्वपूर्ण जल और खाद्य स्रोत (water and food sources) प्रदान करती हैं और वे पानी की गुणवत्ता को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन अधिकतर नदियों को कुप्रबंधित किया जाता है या प्रबंधन कार्यों और संरक्षण कानूनों से पूरी तरह से बाहर रखा जाता है और उन्हें अनदेखा किया जाता है.