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क्यों जरूरी है गैर-बारहमासी नदियों और धाराओं का प्रबंधन ?

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Published : Jul 4, 2021, 3:30 PM IST

शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में पाया है कि पृथ्वी पर नदियों और धाराओं के 64 मिलियन किलोमीटर (लगभग 39.77 मिलियन मील) के 51 से 60% हिस्सा हर वर्ष में कुछ समय के लिए सूख जाता है. अध्ययन गैर-बारहमासी नदियों और धारओं को मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्र (valuable ecosystems) मानता है.

नदियों और धाराओं का प्रबंधन
नदियों और धाराओं का प्रबंधन

नई दिल्ली : एक अध्ययन में पाया गया कि पृथ्वी पर 640 लाख किलोमीटर की नदियों और धाराओं में से 51 से 60 फीसदी ने समय-समय पर बहना बंद कर दिया. ये दुनिया भर की ऐसी नदियों का पहला विश्लेषण है, जो साल भर नहीं बहती हैं या बारहमासी नहीं है.

इस अध्ययन में नदियों के बहाव में होने वाली रुकावट से भविष्य में होने वाले बदलावों का आकलन किया गया है. यह अध्ययन दुनिया भर में पानी और जैव रासायनिक आधार पर नदियों और धाराओं की भूमिका के निर्धारण और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.

यह इस तरह का पहला अध्ययन है, जो कि नदी विज्ञान और प्रबंधन (river science and management ) में नई जानकारी (new information) के आधार पर एक आदर्श बदलाव की मांग करता है. इसमें गैर-बारहमासी नदियों (non-perennial rivers) का एक नया नक्शा तैयार करने की मांग की गई है, जिससे यह बताया जा सके कि वैश्विक जल (global water) और जैव रासायनिक चक्रों (biochemical cycles) में इन नदियों और धाराओं की भूमिका की निगरानी कैसे की जाए?

शोध प्रकृति की मूलभूत अवधारणाओं को संशोधित करके नदी विज्ञान और प्रबंधन में एक आदर्श बदलाव की मांग करता है. अध्ययन के मुताबिक परंपरागत रूप से नदियों और धाराओं में साल भर जल प्रवाह (water flow ) होता है. यह गैर-बारहमासी नदियों और धारओं को बहुत मूल्यवान पारिस्थितिक तंत्र (valuable ecosystems) मानता है, क्योंकि यह विशिष्ट प्रजातियां के लिए अनुकूलित हैं.

अध्ययन के परिणामस्वरूप गैर-बारहमासी नदियों का नक्शा, नदी के प्रवाह में आने वाली रुकावट और भविष्य के परिवर्तनों के आकलन करता है. इसके अलावा वैश्विक जल और जैव रासायनिक चक्र (biochemical cycles) में इन नदियों और धाराओं की भूमिका के निर्धारण और निगरानी के लिए महत्वपूर्ण आधारभूत जानकारी प्रदान करता है.

ये नदियां लोगों के लिए महत्वपूर्ण जल और खाद्य स्रोत (water and food sources) प्रदान करती हैं और वे पानी की गुणवत्ता को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन अधिकतर नदियों को कुप्रबंधित किया जाता है या प्रबंधन कार्यों और संरक्षण कानूनों से पूरी तरह से बाहर रखा जाता है और उन्हें अनदेखा किया जाता है.

अध्ययन में कहा गया है कि निरंतर वैश्विक जलवायु ( global climate ) और भूमि उपयोग परिवर्तन (land use change) को देखते हुए, आने वाले दशकों में वैश्विक नदी नेटवर्क (global river network) का एक बड़ा हिस्सा मौसमी रूप से प्रवाहित होने की उम्मीद है.

वास्तव में कई पूर्व बारहमासी नदियां और धाराएं, जिनमें नील, सिंधु और कोलोराडो नदी जैसी प्रतिष्ठित नदियां शामिल हैं, पिछले 50 वर्षों में जलवायु परिवर्तन, भूमि उपयोग या मानव उपयोग और कृषि के लिए पानी के इस्तेमाल से अनिरंतर हो गई हैं.

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गैर-बारहमासी नदियां शुष्क स्थानों में सबसे आम हैं (जहां वर्षा की तुलना में बहुत अधिक वाष्पीकरण होता है) और छोटी नदियों और धाराओं में आम तौर पर अधिक परिवर्तनशील प्रवाह होता है और इस प्रकार सूखने की संभावना अधिक होती है. हालांकि वे उष्णकटिबंधीय जलवायु (tropical climates) में और यहां तक ​​कि आर्कटिक में भी होती हैं जहां साल के कुछ हिस्सों में नदियां जम जाती हैं.

प्रारंभिक अनुमानों के आधार पर अध्ययन से यह भी पता चलता है कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी ऐसे स्थानों पर रहती है, जहां उनके आसपास गैर-बारहमासी नदी या धारा है.

गौरतलब है कि पिछले एक दशक में, ऐसी नदियां और धाराएं जो सालभर नहीं बहती है, इनकी अहमियत तेजी से घट रही है. अध्ययन अब इन चीजों को लगातार उजागर करने के कई प्रयास कर रहे हैं. अब तक के अधिकांश ताजे पानी के विज्ञान ने बारहमासी जल निकायों के कामकाज और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया है.

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