हैदराबाद : इन दिनों यूएई में टी20 क्रिकेट विश्वकप चल रहा है. जो फिलहाल भारत-पाकिस्तान मैच और फिर भारतीय टीम के टूर्नामेंट से बाहर होने को लेकर सुर्खियों में बना हुआ है. इस क्रिकेट टूर्नामेंट के अलावा एक और मोर्चे पर भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सुर्खियों में हैं और संयोग देखिये कि यहां भी यूएई कॉमन है. दरअसल बीते दिनों श्रीनगर से शारजाह के बीच हवाई सेवा की शुरुआत हुई, लेकिन एक हफ्ते बाद ही ख़बर आई कि पाकिस्तान ने इस उड़ान के लिए अपने एयरस्पेस के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है. क्या होता है ये एयरस्पेस ? पाकिस्तान ने क्यों नहीं दी इजाजत ? क्या पाकिस्तान ने पहले भी ऐसा किया है ? और क्या हैं एयरस्पेस से जुड़े नियम कायदे ? इन सभी सवालों का जवाब देंगे लेकिन पहले समझिये कि
माजरा क्या है ?
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने 23 अक्टूबर को श्रीनगर से शारजाह के बीच सीधी हवाई उड़ानों का शुभारंभ किया था. गो फर्स्ट (जिसे पहले गो एयर के नाम से जानते थे) की ये फ्लाइट हफ्ते में चार बार श्रीनगर से शारजाह के लिए उड़ान भरेगी. अमित शाह ने कहा कि इससे लोगों को सुविधा तो होगी ही साथ में जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. बताया जा रहा है कि 23, 24, 26 और 28 अक्टूबर को तो पाकिस्तान ने इस फ्लाइट को अपने एयरस्पेस से उड़ने की इजाजत दी. लेकिन मंगलवार 2 नवंबर को पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी.
फिर क्या हुआ ?
भारत की तरफ से राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान से अनुरोध किया गया कि श्रीनगर से शारजाह की इस डायरेक्ट फ्लाइट को अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत दे. इसके लिए यात्रियों को होने वाली परेशानी का हवाला दिया गया था लेकिन पाकिस्तान की तरफ से साफ इनकार कर दिया गया. जिसके बाद श्रीनगर से पाकिस्तान होते हुए यूएई पहुंचने वाली इस फ्लाइट को पहले के मुकाबले लंबा रास्ता लेना पड़ रहा है और श्रीनगर से गुजरात होते हुए यूएई पहुंचना होगा.
श्रीनगर से शारजाह के बीच की फ्लाइट से दूरी लगभग तीन घंटे है, लेकिन पाकिस्तान ने एयरस्पेस इस्तेमाल की अनुमति नहीं देने से ये सफर करीब एक घंटे लंबा हो जाएगा. जिससे वक्त के साथ साथ ईंधन भी अधिक लगेगा और टिकट की लागत भी बढ़ जाएगी. जम्मू-कश्मीर और यूएई के बीच 11 साल बाद यह पहली सेवा है. एयर इंडिया एक्सप्रेस ने फरवरी 2009 में श्रीनगर-दुबई उड़ान शुरू की थी लेकिन कम मांग के कारण कुछ समय बाद इसे बंद कर दिया गया था.
एयरस्पेस क्या होता है ?
जैसे किसी देश की जमीन या जल यानि समुद्री सीमा होती है वैसी ही आकाशीय सीमा भी होती है. जिसे एयरस्पेस कहा जाता है, यानि पाकिस्तान की सीमा क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल उसका एयरस्पेस है. किसी भी देश का अपने जमीनी तट से 12 नॉटिकल मील यानी 22.2 किलोमीटर दूर तक समुद्र पर भी उसी का अधिकार होता है। इसे जलसीमा कहते हैं. किसी भी देश की थल और जलसीमा के ऊपर के आकाशीय हिस्से को एयरस्पेस कहा जाता है. जिसपर उसका अधिकार है. इसी तरह भारत, बांग्लादेश समेत दुनिया के तमाम देशों के अपने-अपने एयरस्पेस हैं. इसलिये हर देश को ये तय करने का अधिकार है कि उसके एयरस्पेस से कौन गुजर सकता है और कौन नहीं.
जमीन से ऊंचाई और इस्तेमाल के आधार पर एयरस्पेस को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है. इनमें प्रतिबंधित क्षेत्र, अवरोधित क्षेत्र, चेतावनी क्षेत्र, सैन्य परिचालन क्षेत्र और कंट्रोल्ड फाइरिंग एरिया शामिल हैं. नियंत्रित एयरस्पेस का मतलब वो हवाई क्षेत्र जिसमें उड़ान भरने वाले विमानों का नियंत्रण एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा किया जाता है. जब कोई विमान किसी देश के एयरस्पेस में पहुंचता है तो वहां का एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमान को तब तक पूरी तरह गाइड करता है जब तक विमान उसके वायुक्षेत्र से सही सलामत बाहर नहीं निकल जाता. दरअसल हवाई मार्ग भी पहले से तय किए जाते हैं जिसमें एयरस्पेस से लेकर जमीन की बनवट, दूरी, ईंधन लेने की सुविधा, साथी देश, दुश्मन देश जैसे तमाम समीकरणों को ध्यान में रखा जाता है.
क्या पाकिस्तान ऐसा कर सकता है ?
एक्सपर्ट मानते हैं कि कोई भी देश राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर ऐसा कर सकता है. ज्यादातर देश राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ही इस तरह का फैसला लेते हैं. इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) नाम की संस्था सुरक्षित हवाई उड़ानों को लेकर नियम निर्धारित करती है. इन्हीं नियमों के आधार पर कोई देश दूसरे देशों के विमानों को अपने एयरस्पेस में आने से रोकता है. ये संस्था दुनियाभर के देशों में पैदा होते तनाव या इस तरह के घटनाक्रम पर नजर रखती है. ताकि इन देशों के एयरस्पेस को विमानों के लिए असुरक्षित होने पर जरूरी दिशा निर्देश जारी कर सके.
क्या ऐसा पहले भी हो चुका है ?
-साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद पीएम मोदी अमेरिका के दौरे पर जाने वाले थे. भारत की तरफ से पीएम मोदी का प्लेन के पाकिस्तानी एयरस्पेस से गुजरने की अनुमति मांगी गई थी लेकिन इससे इनकार कर दिया गया था. बकायदा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि हम कश्मीर के हालात को देखते हुए इसकी इजाजत नहीं देंगे.