नई दिल्ली : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सीबीआई (CBI) को जांच की सहमति वापस लेने संबंधी पश्चिम बंगाल का अधिकार पूर्ण नहीं है और जांच एजेंसी उन मामलों की जांच कर सकती है जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ है या फिर जिनका देशव्यापी असर है.
केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार के एक वाद के जवाब में यह दावा करते हुए हलफनामा न्यायालय में दाखिल किया है. पश्चिम बंगाल सरकार का आरोप है कि सीबीआई राज्य की पूर्व अनुमति लिए बगैर ही चुनाव के बाद हिंसा के मामलों की जांच कर रही है जबकि कानून के तहत अनुमति लेना अनिवार्य है.
केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि भारत संघ ने पश्चिम बंगाल में कोई मामला दर्ज नहीं किया है और न ही वह किसी मामले की जांच कर रहा है.
जानिए 60 पन्नों के हलफनामे में क्या
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा दाखिल 60 पृष्ठों के हलफनामे में कहा गया है, 'फिर भी, जैसा कि स्पष्ट है, वर्तमान मुकदमे में प्रत्येक अनुरोध या तो भारत संघ को किसी भी मामले की जांच करने से रोकने या उन मामलों को रद्द करने की दिशा में निर्देशित है जहां भारत संघ ने कथित रूप से प्राथमिकी दर्ज की है. दूसरी ओर, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने प्राथमिकी दर्ज की है और मामले की जांच की है, लेकिन हैरानी की बात है कि प्राथमिकी दर्ज करने और मामले की जांच कर रही सीबीआई को इसमे पक्षकार नहीं बनाया गया है.'
हलफनामे में कहा गया है कि ऐसे अनेक मामलों की जांच की जा रही है कि जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ या जिनका देशव्यापी असर है या इसका एक राज्य से ज्यादा से संबंधित हैं. इसमें कहा गया है, 'ऐसा हमेशा वांछनीय है और न्याय के व्यापक हित में है कि केंद्रीय एजेंसी ऐसे मामलों की जांच करें. केंद्र सरकार के कर्मचारी द्वारा किए गए अपराध या बहु-राज्य या अखिल भारतीय निहितार्थ वाले अपराध की स्थिति में, एक जांच केंद्रीय एजेंसी द्वारा किए गए संघीय ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे या प्रभावित नहीं करेंगे या राज्य के अधिकार क्षेत्र के भीतर अपराधों की जांच करने के लिए राज्य सरकार के अधिकार को नहीं छीनेंगे.'
हलफनामे में कहा गया है कि अपराधों के कुछ मामलों के लिए पश्चिम बंगाल की सहमति मांगी गई थी, लेकिन यह समझ में नहीं आया कि राज्य सरकार ऐसी जांच के रास्ते में क्यों आई. इसमें कहा गया है कि सीबीआई को जांच की अनुमति वापस लेने संबंधी पश्चिम बंगाल का अधिकार पूर्ण नहीं है और जांच एजेंसी को उन मामलों की जांच का अधिकार है जो केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ है या फिर जिनका देशव्यापी असर है.