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West Bengal Violence : हिंसा पर हाईकोर्ट सख्त, मांगी रिपोर्ट, ममता ने कहा- विपक्षी दल जिम्मेवार

पश्चिम बंगाल हिंसा मामले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीपीएम और भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है. बनर्जी ने कहा कि पंचायत चुनाव से पहले यह हिंसा जानबूझकर करवाई गई है. पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों की सुरक्षा में हुई चूक पर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूरी रिपोर्ट मांगी है.

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ममता बनर्जी

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Published : Jun 16, 2023, 5:15 PM IST

कोलकाता : पंचायत चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में हिंसा पर राजनीति जारी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीधे तौर पर विपक्षी दलों पर निशाना साधा है. ममता ने कहा कि सीपीएम और भाजपा की वजह से हिंसा की घटनाएं हुईं हैं. दूसरी ओर कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उम्मीदवारों की सुरक्षा में प्रशासनिक विफलता को लेकर रिपोर्ट मांगी है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, 'आज जो लोग कह रहे हैं कि राज्य में शांति नहीं है, मैं उनसे पूछना चाहती हूं, सीपीएम के शासन काल में कैसी व्यवस्था थी ? कांग्रेस की भी कई राज्यों में सरकारें थीं. वह संसद में हमारा समर्थन चाहती हैं. हम भाजपा के विरोध में उनके साथ हैं. लेकिन जब वह सीपीएम के साथ हाथ मिलाकर बंगाल में हमसे समर्थन मांगने आएंगे, तो उनको कोई समर्थन नहीं मिलेगा.'

ममता ने कहा कि पंचायत चुनाव में कुल 2.31 लाख नामांकन भरे गए हैं. इनमें से 82 हजार नामांकन टीएमसी के सदस्यों द्वारा दाखिल किए गए हैं. इसका मतलब है कि एक-सबा लाख उम्मीदवार दूसरी पार्टियों से हैं. भाजपा के अधिकांश लोग चोर और गुंडे हैं.

प.बंगाल पुलिस ने भानगर से बम बनाने के सामान बरामद किए हैं. प.बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भानगर का दौरा किया. उन्होंने कहा, 'हिंसा की घटना के बाद मैंने स्थानीय लोगों और पीड़ितों से बात की है. मैं बंगाल के लोगों को आश्वासन देना चाहता हूं कि यहां पर चुनाव में हिंसा खुद विक्टिम होगी. हिंसा भड़काने वालों को संविधान के दायरे में रहकर स्थायी रूप से जवाब दिया जाएगा. बंगाल के शांतिप्रिय लोग खुलकर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.'

क्या कहा हाईकोर्ट ने- पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की सुरक्षा में कथित प्रशासनिक विफलता पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की. वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा के राज्यसभा सदस्य बिकास रंजन भट्टाचार्य ने न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ को सूचित किया कि जब पुलिस सुरक्षा में उम्मीदवारों का एक समूह नामांकन दाखिल करने के लिए जा रहा था, तब एक उम्मीदवार की पुलिस के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी गई.

भट्टाचार्य ने सवाल किया, हत्यारों में से एक पकड़ा गया और उसने बताया है कि उसे कैनिंग (पूर्व) से तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला ने 5,000 रुपये की सुपारी दी थी. सभी उम्मीदवारों के लिए आवश्यक सुरक्षा सुनिश्चित करने के अदालत के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पुलिस के सामने ऐसा सुनियोजित हमला कैसे हो सकता है?

इसके बाद जस्टिस मंथा ने कहा कि कोर्ट आम लोगों की जिंदगी को लेकर काफी चिंतित है. उन्होंने कहा, हालांकि, यह सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं दिख रहा है. यह क्या हो रहा है? मुझे लगा कि इन सबके बाद पुलिस ने भांगर पुलिस स्टेशन में एक आधिकारिक प्राथमिकी दर्ज की होगी. लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ. यह अकल्पनीय है. राज्य पुलिस इस मामले में अदालत के स्पष्ट आदेश के बाद भी सुरक्षा सुनिश्चित करने में असमर्थ रही थी.

इसके बाद उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायालय को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे और बताए कि न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद उम्मीदवार नामांकन दाखिल करने में असमर्थ क्यों हैं और इस मामले में विफल रहने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए.

क्या कहा भाजपा ने -भाजपा ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर हो रही हिंसा के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि उनके संरक्षण में प्रदेश में हिंसा का तांडव हो रहा है. जनता टीएमसी को उसी तरह सबक सिखाएगी जैसे कम्युनिस्ट पार्टियों को सिखाया था. भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पंचायत चुनाव के दौरान पार्टी कार्यकतार्ओं पर जानलेवा हमले की 25 से 30 घटनाओं की सूची होने का दावा किया. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार और पुलिस, जिस तरह से बर्ताव कर रही है वो भारत के लोकतांत्रिक और चुनावी इतिहास में एक बहुत ही काला अध्याय है.

राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि नामांकन के अंतिम दिन पश्चिम बंगाल के 341 ब्लॉक में टीएमसी के 40 हजार से ज्यादा नेताओं ने नामांकन किया. इसके अलावा लेफ्ट दलों, कांग्रेस और भाजपा के कार्यकतार्ओं ने भी नामांकन किया. यानी एक व्यक्ति के नामांकन की जांच पर औसतन 2 मिनट का समय आया. जबकि, 2 मिनट में नामांकन पत्र की जांच करना संभव ही नहीं है. इस गति से हुए नामांकन दशार्ते हैं कि टीएमसी की सरकार ने किस तरह से व्यवस्था को अपने हाथ में लिया हुआ है.

त्रिवेदी ने ममता बनर्जी को उनके संघर्ष के दौर की याद दिलाते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं कम्युनिस्ट सरकार की हिंसा के खिलाफ संघर्ष किया था और उस समय भाजपा ने उनका साथ दिया था. आज ममता बनर्जी सरकार दमनकारी सरकार बन गई है. लेकिन, लोकतंत्र में जनता मालिक है. जनता ने कम्युनिस्ट सरकार को भी सबक सिखाया था और जनता टीएमसी को भी सबक सिखाएगी.

सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रीय स्तर पर ममता बनर्जी के साथ खड़े होने वाले और मोदी सरकार पर लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाने वाले विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा. उन्होंने सवाल पूछा कि, लोकतंत्र का, हिंसा से घायल जो स्वरूप आज पश्चिम बंगाल में दिख रहा है, जो ममता बनर्जी 'मां, माटी, मानुस' की बात करती थीं, आज उनके दौर में बंगाल में भारत मां के विरुद्ध शक्तियां खड़ी हो रही हैं, माटी खून से सनी है और मनुष्यता पूरी तरह से व्यथित और कलंकित नजर आ रही है. क्या इस हालात को देख कर भी, इन विपक्षी दलों को लोकतंत्र को लेकर कोई समस्या नजर नहीं आ रही है.

उन्होंने पंचायत चुनावों के दौरान हो रही हिंसा की निंदा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य चुनाव आयोग, दोनों से नैतिकता के साथ अपने-अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि घृणा, हिंसा और जानलेवा हमले के बावजूद भाजपा के 50 हजार से अधिक कार्यकतार्ओं ने पंचायत चुनाव में अपना नामांकन किया है. तमाम जुल्म और ज्यादतियों को सहते हुए भी भाजपा कार्यकर्ता लोकतंत्र की लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे हैं.

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(अतिरिक्त इनपुट- आईएएनएस)

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