नई दिल्ली :प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज (Prominent human rights activist Khurram Parvez) को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी 22 नवंबर को उस समय की गई जब परवेज अपनी टीम के साथ घाटी में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले (Human rights violation cases) में दस्तावेजीकरण कर रहे थे.
उन पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम व आतंकवाद विरोधी कानून की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश और छेड़खानी का आरोप लगाया गया था. साथ ही सरकार के खिलाफ युद्ध का छेड़ने का भी आरोप लगाया गया है.
एनआईए ने अपने बयान में कहा कि खुर्रम पिछले छह साल से एक पाकिस्तानी आतंकवादी समूह के ओवरग्राउंड वर्कर्स के संपर्क में थे. खुर्रम की पत्नी समीना (Khurram's wife Samina) कहती हैं कि ये निराधार आरोप हैं. पूरी घाटी उनके काम को जानती है और स्वीकार करती है. वह जिस तरह का काम करते हैं, वह मानवाधिकारों के प्रति उनके सम्मान और उन अधिकारों की रक्षा करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
जब उनसे या उनके परिवार को गिरफ्तारी के बारे में किसी पूर्व सूचना के बारे में पूछा गया तो तो समीना कहती हैं कि हमें आश्चर्य हुआ. एनआईए के अधिकारियों ने 22 नवंबर को हमारे घर पर छापा मारा. वे 10-12 अधिकारी थे और उन्होंने उनके सभी गैजेट व कुछ दस्तावेज को जब्त कर लिया. पहले उन्हें केवल पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया लेकिन शाम को करीब 6 बजे उनकी औपचारिक गिरफ्तारी की खबर हमारे पास आई. जो कि हमारे लिए चौंकाने वाला था.
नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर (National Conference general secretary Ali Mohammad Sagar) कहते हैं कि जब तक कुछ सामने आता है, हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते. अगर उन्होंने (खुर्रम परवेज) ने कुछ गलत किया है तो उन्हें दंडित किया जाएगा और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो उन्हें दंड नहीं मिलना चाहिए.
वह आगे कहते हैं कि हम वास्तव में खुर्रम के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं और हम उनके किसी भी संबंध को नहीं जानते हैं. केवल राज्य सरकार ही उनके राजनीतिक या किसी भी संबंध के बारे में बता सकती है. कश्मीरियों का जीवन सामान्य नहीं दिखता जैसा कि केंद्र का दावा करता है.
खुर्रम अब दिल्ली में एनआईए की हिरासत में हैं और उनकी गिरफ्तारी को कश्मीर में मानवाधिकार अभियान पर एक कठोर कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है. जबकि मानवाधिकार के उच्चायुक्त (OHCHR) के कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविल ने कहा कि कश्मीरी कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तारी गहरी चिंता का विषय है. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस बयान का जवाब दिया और कहा कि ये बयान भारत के कानून प्रवर्तन अधिकारियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ निराधार आरोप लगाता है.
उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि किसी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों ने लोकतंत्र और मानवाधिकारों के मानकों को बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता के लिए इस तरह की कानूनी और राजनीतिक बाधाओं का सामना किया है.
पिछले साल अक्टूबर में एनआईए ने कई कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के आवासों के साथ-साथ श्रीनगर में परवेज के आवास और कार्यालय पर छापा मारा था. 2016 में आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद उस पर महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (Public Safety Act) के तहत आरोप लगाया गया था.
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परवेज जो कि 2006 के रीबॉक ह्यूमन राइट्स अवार्ड पा चुके हैं और ग्लासगो विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम में प्रतिष्ठित शेवनिंग फेलोशिप के प्राप्तकर्ता हैं, की गिरफ्तारी पर विभिन्न नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, एमनेस्टी सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई है.