उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिलाओं को बताया देश की ताकत जयपुर.मैंने महिला शक्ति को नजदीक से देखा है. उनकी ताकत को महसूस किया है. मेरी एक ही ताकत है, मेरी नानी, मेरी दादी, मेरी मां और मेरी धर्मपत्नी. ये चारों अत्यंत प्रतिभाशाली भी हैं और कठोर भी, लेकिन जब भी मुझे आवश्यकता महसूस हुई तो ये चारों मेरे पीछे खड़ी थी. पांच दशक की यात्रा के दौरान कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन इन चारों की ताकत से उन पर भी पार पाया. यह कहना है देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का.
दरअसल, सोमवार को महारानी कॉलेज में राष्ट्रीय उत्थान में महिलाओं की भागीदारी विषय पर अपनी बातें रखते हुए उन्होंने उक्त बातें कहीं. इस दौरान सम्मान के रूप में जो सफा उन्हें पहनाया गया था, उन्होंने अपने सिर से उतारकर उसे अपनी धर्म पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ को पहनाते हुए उनका सम्मान भी किया.
सरकार ही नहीं समाज की भी है जिम्मेदारी -उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का लगातार छात्रों से संवाद का कार्यक्रम जारी है और इस बार ये आयोजन प्रदेश के सबसे बड़े महिला महाविद्यालय महारानी कॉलेज में हुआ. उन्होंने छात्राओं से इकोनामिक नेशनलिज्म की बात करते हुए विदेशी सामग्री का इस्तेमाल नहीं करने, संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के साथ-साथ मौलिक दायित्वों को पढ़ने से क्रांतिकारी बदलाव आने, कभी स्ट्रेस नहीं लेने, फेलियर की चिंता नहीं करने और सरकारी तंत्र में जेब गर्म करना नहीं, बल्कि व्यक्ति को एमपावर करने की नसीहत दी. इस दौरान एक छात्रा के सवाल पर उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण तैयार करना सिर्फ सरकारी तंत्र की ही नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है.
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तीन गंभीर बीमारियों का किया जिक्र -वहीं, एक अन्य छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे यहां तीन गंभीर बीमारी है. पहला किसी भी मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट तक लेकर के जाते हैं, दूसरा दूसरे की चीज बहुत अच्छी लगती है और तीसरा अपने ही देश को डिसकैरेज करने में लगे रहते हैं. जबकि आज भारत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. 10 साल पहले जिस भारत को फ्रजाइल 5 में गिना जाता था, आज वो विश्व की टॉप-5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. हमारे लिए भारतीयता सर्वोपरि है. इससे कोई कंप्रोमाइज नहीं होना चाहिए. भारत मजबूत देश है, लेकिन कुछ लोग इसे मजबूर दिखाना चाहते हैं. और जब भारत मजबूत है तो मजबूरी की बात करने वालों को जवाब देना सभी का दायित्व है.
कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ममता को लेकर कही ये बड़ी बात -इससे पहले अपने उद्बोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि वो 3 साल पश्चिम बंगाल में राज्यपाल रहे. उस दौरान ममता बनर्जी ने भी उनका विरोध नहीं किया. यह सवाल सीएम अशोक गहलोत ने भी उनसे पूछा कि यह किस तरह का जादू है, लेकिन उन्होंने इसका सीक्रेट सीएम को नहीं बताया. लेकिन महारानी कॉलेज में पहुंचकर अपना सीक्रेट बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ताकत उनकी नानी, दादी, मां और धर्मपत्नी है.
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देश की तरक्की में महिलाओं का अहम योगदान - इस दौरान उन्होंने बताया कि वो खुद महाराजा कॉलेज के स्टूडेंट रहे हैं और यहां प्रोफेसर मिगलानी जैसे शिक्षक मौजूद हैं, जिनका आशीर्वाद उन्हें आज भी मिल रहा है, जो किसी गिफ्ट से कम नहीं है. आगे उन्होंने कांस्टीट्यूशनल स्ट्रक्चरल डेमोक्रेसी में चेयरमैन शब्द में आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि अब वहां चेयरपर्सन कहा जाता है और जिस सदन में वो बैठते हैं वहां टेबल मैनेज करने की जिम्मेदारी भी महिलाओं को ही दी गई है. साल 2019 में लोकसभा में पहली बार 78 महिलाएं सांसद चुनकर आईं. यह भारत अब महिलाओं की ताकत से ही दुनिया को बदलेगा, जिसका उदाहरण चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता से लगाया जा सकता है. इसके पीछे भी महिलाओं का ही हाथ है.