वाराणसी:ज्ञानवापी के मुकदमों की सुनवाई को लेकर पिछले दिनों व्यास जी के तहखाने पर एक बार फिर से अपना कब्जा लेने और मुकदमा चलने तक तहखाने की जिम्मेदारी और सुपुर्दगी जिलाधिकारी वाराणसी को दिए जाने के संदर्भ में कोर्ट से की गई अपील के बाबत शनिवार को न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई. शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान विश्वनाथ मंदिर न्यास के वकील को अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट ने समय दिया था. इस पर आज मंदिर न्यास के वकील द्वारा अपनी बातें रखी गईं और दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने इस मामले में आज सुनवाई पूरी करते हुए अब इस पर 4 अक्टूबर को आदेश देने की तारीख मुकर्रर की है.
ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी का तहखाना डीएम की निगरानी में सौंपने संबंधी दाखिल वाद के संबंध में ट्रांसफर करने के लिए शनिवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई हुई. कोर्ट में एक अन्य पक्षकार काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अधिवक्ता रवि कुमार पांडेय ने अपना पक्ष रखा. कोर्ट ने अब 4 अक्टूबर की तारीख आदेश के लिए नियत की है. पिछली तारीख पर कोर्ट ने एक अन्य पक्षकार काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी की थी. इसपर आज कार्यवाही आगे बढ़ी.
शैलेन्द्र कुमार व्यास ने 25 सितंबर को वाद दाखिल किया था. इसमें कहा गया था कि व्यासजी का तहखाना वर्षों से व्यासजी के परिवार के कब्जे में रहा है. वर्ष 1993 के पूर्व से पूजा-पाठ, राग-भोग होता चला आ रहा था. इसके बाद इस तहखाने को प्रदेश सरकार के आदेश से घेर दिया गया. उन लोगों को पूजा-पाठ से वंचित कर दिया गया. वर्तमान में नंदी जी के सामने स्थित इस तहखाने का दरवाजा खुला है. उस जगह वादी और उनके परिवार को जाने से रोका जाता रहा है. कहा कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से तहखाने पर कब्जा किया जा रहा है. इसके संबंध में वादी की ओर से एक वाद लोअर कोर्ट में लंबित है. जिसे जिला जज अपने स्वयं के कोर्ट में ट्रांसफर कर सुनवाई करें.
इस पर प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि वादी की ओर से ट्रांसफर अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है. जो मुकदमा लोअर कोर्ट में दाखिल किया गया है, उसी कोर्ट से सबंधित ट्रांसफर की मांग की जा सकती है, न कि अपीलीय न्यायालय की कोर्ट में सुनवाई के लिए मांग की जा सकती है. उन्होंने वादी की ट्रांसफर अर्जी खारिज करने की अदालत से गुहार लगाई. फिलहाल, कोर्ट ने आज पक्षकारों के साथ ही मस्जिद कमेटी के लोगों के अलावा विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से जुड़े वकील की बहस को सुनने के बाद इस पर फैसला सुरक्षित किया. अब 4 अक्टूबर को इस पर न्यायालय अपना आदेश देगा.
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