उन्नावः बांगरमऊ तहसील क्षेत्र में गंगा किनारे खेलकर बचपन बिताने वाली अंडर 19 की खिलाड़ी अर्चना देवी आज कोई पहचान की मोहताज नहीं रही हैं. अर्चना जब दाहिने हाथ की तेज गेंदबाज बनकर उभर कर भारतीय अंडर-19 महिला क्रिकेटर के रूप में सामने आई, तब इस उन्नाव की बेटी को देख सभी अचंभे में पड़ गए. अंडर-19 महिला टी20 विश्व कप फाइनल में रविवार को इंग्लैंड को टीम इंडिया ने हराकर इतिहास रच दिया. इंग्लैंड की टीम 68 रन पर ऑल आउट हो गई. भारत ने 3 विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया. इस शानदार जीत की नींव उन्नाव की अर्चना देवी ने रखी. उन्होंने ग्रेस स्क्रिवेंस और नियाह हॉलैंड को आउट करके शानदार शुरुआत दिलाई.
क्रिकेट की दीवानी बेटी ने उन्नाव का नाम किया रोशन
बता दें कि उन्नाव जिले के रतई पुरवा गांव की रहने वाली अर्चना की इस सफलता के पीछे उनकी जिद्दी मां सावित्री देवी का हाथ है, जिन्हें न जाने बेटी को क्रिकेट की दुनिया मे आगे बढ़ाने के लिए कितने ताने सुनने पड़े. कैंसर से सावित्री के पति और बेटे की सांप काटने से मौत हो गई. घर में दो परिजनों की मौत के बाद सावित्री अंदर से तो टूट गईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. जिस समय सावित्री को लोगों की हेल्प की सबसे ज्यादा जरूरत थी, उस समय गांव के ही लोग उन्हें डायन कहने लगे.
यही नहीं सावित्री ने अर्चना को क्रिकेटर बनाने का फैसला किया, तो उनके रिश्तेदारों ने कहा कि व अपनी बेटी को गलत रास्ते पर भेज रही हैं. इससे सावित्री देवी को फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने क्रिकेट की दीवानी बेटी को गांव से 345 किलोमीटर दूर मुरादाबाद में लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में एडमिशन करवाया. ऐसा करने के बाद आस पड़ोस के लोगों ने उन्हें अपनी बेटी को गलत धंधे में डालने का आरोप लगाते हुए और ताने मारने लगे, लेकिन सावित्री अडिग रहीं और किसी की बिल्कुल भी नहीं सुनी. वह सिर्फ अपनी बेटी को एक अच्छे क्रिकेट के खिलाड़ी के रूप में देखना चाहती थी.
बेटी को लेकर लोगों ने कहीं कई बुरी-बुरी बातें
सावित्री ने बताया कि 'जैसे ही आगे बढ़ाने की कोशिश की तो लोग कहने लगे कि उन्होंने अपनी लड़की को बेच दिया है. लड़की को गलत धंधे में डाल दिया है. ये सारी बातें गांव व आसपास पड़ोस के लोग मेरे मुंह पर बोलते थे'.
घर में मेहमानों की बढ़ती संख्या से नहीं पूरे हो रहे हैं बिस्तर
वहीं, अर्चना देवी की मां ने बताया कि 'अर्चना की सफलता के बाद सबका व्यवहार मेरे परिवार व मुझको लेकर बदल गया है. अब मेरा घर मेहमानों से भरा हुआ है और मेरे पास उनके लिए पर्याप्त कंबल व बिस्तर नहीं हैं, जिसे वह अपने रिश्तेदारों को तन ढकने व लेटने के लिए दें सकें. वे पड़ोसी, जिन्होंने कभी मेरे घर का एक ग्लास पानी नहीं पिया, अब मेरी मदद कर रहे हैं. मेरी हर बात मानने को तैयार हैं'.