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देवघर रोपवे हादसा: रेस्क्यू ऑपरेशन स्थगित, फंसे पर्यटकों को रातभर मोटिवेट करेगा गरुड़ कमांडो - jharkhand tourist trapped

देवघर के त्रिकूट पर्वत पर रोपवे में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए चल रहा ऑपरेशन शाम ढलते ही बंद कर दिया गया है. 11 अप्रैल को सुबह 7:30 बजे से वायु सेना के गरुड़ कमांडो की टीम ने MI-17 और MI-17 V5 चॉपर की सहायता से 32 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है. डीसी ने बताया कि करीब 15 लोग अब भी फंसे हुए हैं. पेश है रांची ब्यूरो चीफ राजेश सिंह की ग्राउंड रिपोर्ट.

देवघर रोपवे हादसा
देवघर रोपवे हादसा

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Published : Apr 11, 2022, 10:06 PM IST

Updated : Apr 11, 2022, 10:45 PM IST

देवघर : झारखंड में त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए चल रहा ऑपरेशन रात होने के कारण कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. सोमवार (11 अप्रैल) सुबह 7:30 बजे से वायु सेना के गरुड़ कमांडो की टीम ने MI-17 और MI-17 V5 चॉपर की सहायता से 32 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया है. लेकिन शाम ढलते-ढलते एक दुखदाई घटना भी घट गई. रेस्क्यू करते वक्त एक पर्यटक को जैसे ही चॉपर पर शिफ्ट करने की कोशिश की जा रही थी, तभी उनका सेफ्टी बेल्ट खुल गया और वह नीचे खाई में जा गिरे.

देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि दिनभर चले ऑपरेशन के दौरान 32 लोगों को अलग-अलग ट्रॉली से सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया. लेकिन शाम के वक्त एक हादसा होने की वजह से एक शख्स की जान चली गई. उन्होंने बताया कि अभी चार ट्रॉलियों में करीब 15 लोग फंसे हुए हैं. देवघर के जिलाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री ने बताया कि प्रशासन की पहली कोशिश है कि फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला जाए. 10 अप्रैल को जब हादसा हुआ, उस वक्त से ही पूरा प्रशासन रेस्क्यू में जुटा हुआ है. इस दुर्घटना की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

जानकारी देते डीसी

वहीं, एक ट्रॉली में एयरफोर्स का गरुड़ कमांडो रहकर अब रातभर फंसे हुए यात्रियों को मोटिवेट करेंगे. दरअसल, वह रेस्क्यू कराने के लिए एक ट्रॉली में पहुंचे थे. इसी दौरान अंधेरा होने की वजह से दोनों चॉपर मूव कर गये और गरुड़ कमांडो ट्रॉली में रह गए. जिलाधिकारी ने बताया कि 10 अप्रैल की शाम हादसा होने के बाद फौरन एनडीआरएफ की टीम के साथ सेना की मदद की मांग की गई थी. इस पर केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सुबह होते ही एयरफोर्स की टीम, सेना और आईटीबीपी की टीम को तैनात कर दिया था. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में पश्चिम बंगाल के खड़कपुर एयरवेज के साथ-साथ रांची से एयर फोर्स की टीम लगी हुई है.

एक मां को भी अपने बेटे का इंतजार : देवघर के विलासी मोहल्ले की रहने वाली ज्योतिर्मय अपने बेटे नमन नीरज के इंतजार में रविवार रात से बैठी हुई हैं. उनका बेटा रविवार को अपने एक मित्र के साथ त्रिकूट रोपवे घूमने आया था और हादसे के बाद से वहीं फंसा है. इनके साथ फंसे करीब 22 लोगों को मंगलवार सुबह का इंतजार करना ही होगा. देवघर में त्रिकूट रोपवे हादसा के बाद शासन प्रशासन का महकमा देवघर कैंप कर रहा है. हादसे का जायजा लेने एडीजी आरके मल्लिक और आपदा प्रबंधन के सचिव अमिताभ कौशल मौके पर पहुंचे हुए हैं. इसके अलावा डीआईजी संथाल परगना रेंज लगातार इलाके में कैंप कर रहे हैं.

देवघर के त्रिकूट पर्वत से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

हादसा कब और कैसे हुआ : 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकुट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रुक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलिया या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. जिसकी वजह से एक महिला पर्यटक की मौत हो गई.

कब स्थापित हुआ था रोपवे सिस्टम : त्रिकूट पर्वत पर रोपवे सिस्टम की स्थापना साल 2009 में हुई थी. यह झारखंड का इकलौता और सबसे अनोखा रोपवे सिस्टम है. जमीन से पहाड़ी पर जाने के लिए 760 मीटर का सफर रोपवे के जरिए महज 5 से 10 मिनट में पूरा किया जाता है. कुल 24 ट्रालिया हैं. एक ट्रॉली में ज्यादा से ज्यादा 4 लोग बैठ सकते हैं. एक सीट के लिए 150 रुपये देने पड़ते हैं और एक केबिन बुक करने पर 500 रुपये लगता है. इसकी देखरेख दामोदर रोपवेज एंड इंफ्रा लिमिटेड, कोलकाता की कंपनी करती है. यही कंपनी फिलहाल वैष्णो देवी,हीराकुंड और चित्रकूट में रोपवे का संचालन कर रही है. कंपनी के जनरल मैनेजर कमर्शियल महेश मोहता ने बताया कि कंपनी भी अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर रही है.

जानकारी देते परिजन

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क्या है त्रिकूट पर्वत : झारखंड के देवघर जिला को दो वजहों से जाना जाता है. एक है रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग और दूसरा त्रिकूट पर्वत पर बना रोपवे सिस्टम. इस पर्वत से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि रामायण काल में रावण भी इस जगह पर रुका करते थे. इसी पर्वत पर बैठकर रावण रावणेश्वर ज्योतिर्लिंग को आरती दिखाया करते थे. इस पर्वत पर शंकर भगवान का मंदिर भी है. जहां नियमित रूप से पूजा भी की जाती है. इस रोपवे सिस्टम की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी चल रही है.

Last Updated : Apr 11, 2022, 10:45 PM IST

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