वाराणसी : वाराणसी में गंगा को साफ करना हमेशा से चुनौती रही है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनने के बाद से वाराणसी में गंगा की सफाई के लिए कई योजनाएं शुरू हुईं. गंगा में गिरने वाले नाले और गंदगी को रोकने के लिए एसटीपी तो बनाए गए, मगर गंगा में फेंके जा रहे निर्माल्य, पॉलिथीन, कपड़े और बोतलें के कारण सफाई पर असर पड़ता रहा. इन सबके बीच गुरुवार को वाराणसी में पहली बार ऐसी मानवरहित नाव का ट्रायल किया गया, जो गंगा में फेंके गए कचरे को साफ करेगी. बनारस नगर निगम में इस प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर एनपी सिंह ने बताया कि मानवरहित सफाई नौके का ट्रायल सफल रहा.
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभालने के साथ ही वाराणसी से गंगा सफाई का बड़ा संदेश दिया था. इसके बाद गंगा की घाटों की सफाई, एसटीपी निर्माण जैसे कई काम हुए. इसका फायदा भी हुआ. सीवर की गंदगी से गंगा को काफी हद तक मुक्ति मिली. धार्मिक नगरी और परंपराओं के कारण लोग गंगा में फूल, निर्माल्य और कपड़े जैसे वेस्ट गंगा में प्रवाहित करते रहे. घाटों पर फेंकी गई पॉलिथीन और वॉटर बोतल भी गंगा में पहुंचती रही. इस कारण गंगा को साफ करने का अभियान कुंद पड़ गया.
ऐसे कचरे को समेटने के लिए बनारस में मानवरहित बोट का ट्रायल किया गया, जो सफल रहा. नगर स्वास्थ्य अधिकारी और इस प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे डॉक्टर एनपी सिंह ने बताया कि बनारस में गंगा नदी में फेंके जा रहे कचरे को साफ करने के लिए पहले एक मशीन आई थी. उस मशीन को गुजरात की एक कंपनी द्वारा ऑपरेट करती थी. मशीन को हैंडल करने के लिए हमेशा एक ऑपरेटर की आवश्यकता होती थी. इस नाव को लेकर ऑपरेटर अस्सी से राजघाट तक घूमता रहता था और कूड़ा कचरा इकट्ठा करता था. अब मानव रहित नाव गंगा में फेंके गए कचरे को साफ करेगी.