रायपुर :अब तक भारतीय समाज में किन्नर या तो शुभ कार्य में बधाई गीत गाते दिखते थे या फिर ट्रेन में लोगों को दुआएं देते. अब तक इनकी आजीविका के यही कुछ माध्यम थे, लेकिन छत्तीसगढ़ के सरगुजा में एक किन्नर पुलिस भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुई और सभी खेलों में बेहतर प्रदर्शन भी किया.
न्यायालय के आदेश के बाद किन्नर समाज को भी शासकीय सेवा में शामिल होने का अधिकार मिल चुका है. छत्तीसगढ़ में होने वाली पुलिस भर्ती में महिला-पुरुष के साथ थर्ड जेंडर को भी शामिल किया गया. लिहाजा सरगुजा की अक्षरा ने पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया और बेहतर प्रदर्शन भी किया.
सिलफिली गांव की है अक्षरा
सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव के बंगाली परिवार में अशोक कुमार मंडल का जन्म हुआ. अब अशोक अक्षरा बन चुके हैं. अक्षरा की कहानी भी हर किन्नर की तरह उपेक्षाओं से भरी है, लेकिन वह किसी से कोई शिकवा शिकायत न करते हुए सिर्फ अपने समाज के सुधार की बात करती हैं.
अक्षरा 15 साल से अपने परिवार से अलग थीं. अंबिकापुर के गांधीनगर में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई भी कर रही थीं. पुलिस बनकर देश की सेवा करने का सपना अक्षरा ने तब देखा था, जब उनकी पहचान अशोक मंडल की थी.