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G20 Summit : सुर्खियों में रहा भारत, चीनी प्रधानमंत्री ली के लिए दो दिन कठिन रहे

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 10, 2023, 10:39 PM IST

जी20 शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली आए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के लिए संयुक्त घोषणा का समर्थन करने के मद्देनजर दो दिन काफी कठिनाई के रहे. हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि भारत और अमेरिका ने शी की बेवजह अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाया. पढ़िए पूरी खबर...

Chinese Premier Li Qiang
चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग

बीजिंग : जी20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग की जगह मुश्किल मिशन पर नई दिल्ली आए चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग के लिए संयुक्त घोषणा का समर्थन करने के लिहाज से दो दिन कठिन रहे. इस घोषणापत्र को मेजबान भारत की सबसे बड़ी सफलता करार दिया गया, जिसने यूक्रेन को लेकर चीन और रूस के मतभेदों को सफलतापूर्वक साध लिया. ली की कुछ पश्चिमी नेताओं के साथ हुई बैठक भी मुश्किल भरी रही विशेष रूप से इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ. मेलोनी ने रोम में अपेक्षित परिणाम लाने में विफलता के लिए चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को छोड़ने के इटली के संकल्प की ओर इशारा किया.

इसके अलावा, भारत तब सुर्खियों में आया जब नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया. इसके लिए शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत ने सफल राजनयिक अभियान चलाया. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने राष्ट्रपति शी की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पहल के तहत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश के साथ अफ्रीका में बड़ी पैठ बनाई है, लेकिन ऋण स्थिरता को लेकर इसकी आलोचना हुई है खासकर छोटे देशों की ओर से.

ली ने रविवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ एक बैठक की, जिन्होंने उन्हें जासूसी के आरोप में एक संसदीय शोधकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ब्रिटेन के लोकतंत्र में चीन के हस्तक्षेप के बारे में लंदन की चिंता से अवगत कराया. हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने विश्लेषकों के हवाले से कहा कि भारत और अमेरिका ने शी की बेवजह अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाया, जो सीपीसी संस्थापक माओत्से तुंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता हैं.

पोस्ट ने नई दिल्ली जी20 शिखर सम्मेलन के परिणाम का सारांश पेश करते हुए कहा, 'दोनों देशों ने चीन की बुनियादी ढांचा कूटनीति का मुकाबला करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाले बहुपक्षीय ऋण को बढ़ावा दिया, विकासशील देशों के साथ आक्रामक रुख अपनाया और घोषणापत्र में कुछ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर चीनी के सहयोगी रूस की निंदा की गई.'

शी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, दोनों ही शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए. बाइडेन ने शी की अनुपस्थिति के बारे में कहा था, 'उनका यहां होना अच्छा रहता, लेकिन शिखर सम्मेलन अच्छा चल रहा है.' संयुक्त बयान जारी करने के अलावा, जिसके बारे में पहले अनुमान लगाया गया था कि यह सबसे कठिन होगा, एकत्रित नेताओं ने 'भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा’ स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन की घोषणा की, जो तीन क्षेत्रों को जोड़ने वाला एक बहुराष्ट्रीय रेल और बंदरगाह समझौता है.'

पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया कि, 'यह तब आया है जब बाइडेन प्रशासन वाशिंगटन को विकासशील देशों के लिए एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में प्रचारित करके शी के बीआरआई का मुकाबला करने की कोशिश कर रहा है.' बाइडेन ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा, 'यह बड़ा सौदा है. यह वास्तव में एक बड़ी बात है’’जिसका उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा और बेहतर समुदायों को बढ़ावा देना है.'

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा शुरू करने की योजना की घोषणा की जिसमें भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं. चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने रविवार को विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि बाइडेन प्रशासन का असली उद्देश्य मध्य पूर्व में 'चीन को अलग-थलग' करने की कोशिश करना है, एक ऐसा क्षेत्र जहां हाल के वर्षों में इस क्षेत्र के साथ चीनी सहयोग में लगातार इजाफा हुआ है.

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(पीटीआई-भाषा)

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