जबलपुर :मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने एक युवक को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से एक महिला को मुक्त करते हुए कहा कि धमकी को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है. साथ ही उसके खिलाफ जिला अदालत में लंबित प्रकरण को खारिज करने के निर्देश दिए हैं.
न्यायमूर्ति अंजली पालो ने तीन मार्च को जारी आदेश में कहा है कि धमकी आत्महत्या करने का कारण हो सकती है. लेकिन इसे आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता है. अदालत ने कहा कि यदि मृतक युवक को याचिकाकर्ता महिला द्वारा ब्लैकमेल किया गया है तो वह इस महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता था. सरकारी वकील पी घोष ने बृहस्पतिवार को कहा कि याचिकाकर्ता का एक युवक के साथ प्रेम संबंध था और वह इस युवक को शादी करने के लिए मजबूर कर रही थी. जिसे युवक ने ठुकरा दिया था.
घोष ने बताया कि याचिकाकर्ता महिला ने कथित रूप से इस युवक को ब्लैकमेल किया था और धमकी दी थी. यदि वह उससे शादी नहीं करेगा तो वह उसके एवं उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करवाएगी. साथ ही उन्हें झूठे मामले में फंसवाएगी. उन्होंने कहा कि आरोपी महिला 17 जनवरी 2020 को युवक के घर जबरदस्ती घुस गई थी और परिजनों के विरोध के बाद वह युवक के घर से लौट आई थी. घोष ने कहा कि इसके बाद वह 26 जनवरी 2020 को पुनः युवक के घर रहने पहुंच गई और 28 जनवरी तक वहां रही.