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कोवैक्सिन के क्लिनिकल ट्रायल में नहीं था कोई राजनीतिक दबाव, वैज्ञानिक आधार पर लिए गये फैसले : सरकार

सरकार ने कहा कि जनवरी 2021 में कोवैक्सिन को प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमोदित किए जाने से पहले, विषय की विशेषज्ञ समिति ने टीके की सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता के डेटा की समीक्षा की और क्लिनिकल ट्रायल मोड में प्रचुर सावधानी का ध्यान रखते हुए आपातकालीन स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति देने की सिफारिश की.

Scientific approach and prescribed norms adhered to in approving Covid-19 vaccines for Emergency Use Authorization
कोवाक्सिन के क्लिनिकल ट्रायल में नहीं था कोई राजनीतिक दबाव

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Published : Nov 17, 2022, 12:47 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 2:10 PM IST

नई दिल्ली :भारत सरकार ने उन मीडिया रिपोर्टों को भ्रामक और गलत जानकारी देने वाला बताया है. जिनमें दावा किया गया है कि भारत बायोटेक, स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन - कोवैक्सिन के निर्माता को राजनीतिक दबाव के कारण 'कुछ प्रक्रियाओं को छोड़ना पड़ा' ट्रायल को 'तेज' करना पड़ा. बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के तीन चरणों में कई अनियमितताएं हुईं.

सरकार ने कहा कि मीडिया में कुछ ऐसी खबरें आई हैं, जिनमें यह दावा किया गया है कि स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन – कोवैक्सीन के निर्माता भारत बायोटेक ने राजनीतिक दबाव के कारण 'कतिपय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया' और उसके क्लीनिकल परीक्षण में 'जल्दबाजी' की. रिपोर्टों में यह दावा भी किया गया है कि वैक्सीन के लिये तीन चरणों में जो क्लीनिकल परीक्षण किये गये, उनमें कई अनियमिततायें बरती गईं. मीडिया की ये रिपोर्टें सरासर भ्रामक, झूठी और गलत सूचनाओं पर आधारित हैं.

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सरकार ने कहा कि यह स्पष्ट कर दिया गया है कि केंद्र सरकार और राष्ट्रीय नियामक, केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने आपातकालीन उपयोग के लिये कोविड-19 की वैक्सीन को अधिकृत करने के सम्बंध में वैज्ञानिक तथ्यों तथा निर्धारित नियमों का पालन किया है. सीडीएससीओ की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की बैठक एक और दो जनवरी, 2021 को बुलाई गई थी. बैठक में आवश्यक चर्चा के बाद मेसर्स भारत बायोटेक की कोविड-19 वायरस वैक्सीन की नियंत्रित आपातकालीन अनुमति के लिये प्रस्ताव के बारे में सिफारिशें की गई थीं.

जनवरी 2021 में कोवैक्सीन के नियंत्रित आपातकालीन उपयोग की अनुमति के पहले, विषय विशेषज्ञ समिति ने वैक्सीन सम्बंधी सुरक्षा तथा उसकी प्रतिरक्षा क्षमता के बारे में आंकड़ों का विश्लेषण किया था. उसके बाद जनहित में यह फैसला किया गया कि नियंत्रित आपातकालीन इस्तेमाल के लिये वैक्सीन को अनुमति दे दी जाये. इसके क्लीनिकल परीक्षण में पर्याप्त सावधानी बरती गई। इसके बाद इसे अनुमति दी गई, ताकि टीकाकरण के अन्य विकल्प भी उपलब्ध हो सकें, खासतौर से म्यूटेंट स्ट्रेन द्वारा संक्रमण के मामलों का मुकाबला करने के लिये.

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कोवैक्सीन की प्रस्तावित खूराक के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने के लिये एसईसी ने अनुमति दी, जो मेसर्स भारत बायोटेक द्वारा प्रस्तुत वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित थी. इसमें स्थापित कार्य-व्यवहार पर भी ध्यान दिया गया. इसके अलावा, मीडिया रिपोर्टों में यह दावा भी किया गया है कि कोवैक्सीन के क्लीनिकल परीक्षण में 'अवैज्ञानिक बदलाव' किये गये. जबकि ये तथाकथित 'अवैज्ञानिक बदलाव' मैसर्स भारत बायोटेक द्वारा सीडीएससीओ में वैक्सीन पेश करने, सीडीएससीओ में पूरी प्रक्रिया का पालन करने तथा डीजीसीआई की अनुमति के बाद किये गये.

इसके अलावा, आगे चलकर, जब मेसर्स भारत बायोटेक ने आगे और जानकारी पेश की तथा सीडीएससीओ के एसईसी ने अंतरिम प्रभावकारिता व सुरक्षा आंकड़ों का मूल्यांकन किया, तब 11 मार्च, 2021 को कोविड-19 वैक्सीन को 'क्लीनिकल परीक्षण रूप' में लगाये जाने वाली शर्त वापस ले ली गई. अनेक शर्तों और बाध्यताओं के साथ नियंत्रित आपातकालीन परिस्थिति में कोवैक्सीन सहित कोविड-19 की वैक्सीनें लगाने की अनुमति सीडीएससीओ की विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर ही राष्ट्रीय नियामक ने दी थी. विषय विशेषज्ञ समिति में पलमोनोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, पेड्येट्रिक्स, इंटर्नल मेडिसिन आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों व जानकारों को रखा गया है.

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इस मामले में भारतबायोटेक ने कहा कि हम कुछ चुनिंदा व्यक्तियों और समूहों द्वारा कोवैक्सीन के खिलाफ चलाये जा रहे लक्षित अभियान की निंदा करते हैं. इनके पास टीके या वैक्सीन विज्ञान में कोई विशेषज्ञता नहीं है. यह सभी जानते हैं कि इन्होंने महामारी के दौरान गलत सूचना और फर्जी खबरों को फैलाया है.

Last Updated : Nov 17, 2022, 2:10 PM IST

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