बठिंडा:जहां पूरा देश दिवाली का बेसब्री से इंतजार कर रहा है और पटाखे फोड़ने और दीये जलाने की योजना बना रहा है, वहीं पंजाब के बठिंडा के तीन गांवों के सेना की छावनी और गोला-बारूद डिपो के निकट होने के कारण इन गांवों में कई दशकों से रोशनी का त्योहार फीका रहा है. यहां के फूस मंडी, भागू और गुलाबगढ़ गांवों में आतिशबाजी न करने और पराली न जलाने के प्रशासन के सख्त निर्देश हैं.
इन गांवों के बुजुर्गों का दावा है कि उन्होंने पिछले पांच दशकों से दिवाली नहीं मनाई है. उन्होंने कहा कि सैन्य छावनी का निर्माण 1976 में निर्माण से पहले भूमि का एक बड़ा हिस्सा अधिग्रहित करने के बाद किया गया था. एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा कि जब बच्चे दिवाली पर पटाखे जलाने की जिद करते हैं, तो उन्हें उनके ननिहाल या मौसी के घर भेज दिया जाता है.
यदि कोई भी व्यक्ति प्रशासनिक निर्देशों के विरुद्ध पटाखे फोड़ता है या पराली जलाता है तो उसके विरुद्ध जिला प्रशासन द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाती है. दिवाली नहीं मना पाने के अलावा, फूस मंडी के ग्रामीणों ने कहा कि कई बार सेना द्वारा विस्फोट किए जाने पर समाप्त हो चुके गोला-बारूद के टुकड़े गांव में गिर गए. उनका कहना है कि प्रशासन ने ऐसी घटनाओं में संपत्ति के नुकसान की उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की.