श्रीनगर : भारत के मध्य वर्ग के बीच अपनी लाल शर्ट और तांबे के मेहराबों के साथ कूली की स्मृति में जेहन में बसी है. ज्यादातर पुरुषों का यह समूह जो अपने सिर और कंधों पर भारी बैग ले जाते हैं और प्लेटफार्म की खड़ी सीढ़ियों पर तेजी से चढ़ जाते है. भीड़-भाड़ वाले स्टेशन काम करने वाला यह समूह गरीबी और भुखमरी के कगार पर है.
जम्मू-तवी रेलवे स्टेशन पर रेलवे कुली जोगिंदर शर्मा ने बताया कि उन्होंने पूरे 40 वर्षों में कभी भी कुली का ऐसा रुप नहीं देखा है. 60 वर्षीय शर्मा अपने परिवार के साथ जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के पास किराए के कमरे में रहते हैं. वे चार दशकों से कुली का काम कर रहे हैं. जम्मू तवी रेलवे स्टेशन के बाहर कई पोर्टर्स ने कहा कि उन्होंने एक रुपया नहीं कमाया है क्योंकि मार्च 2020 को ट्रेनों को रोक दिया गया.