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पंजशीर घाटी में अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर रहा तालिबान

तालिबान अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियारों का इस्तेमाल अफगानिस्तान पर अपने कब्जे के प्रतिरोध के आखिरी हिस्सों को कुचलने के लिए कर रहा है. डेली मेल की रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में तालिबान के बंदूकधारियों को अमेरिकी सेना की एम4 और एम16 राइफलों की ब्रांडिंग करते और नाइट विजन गॉगल्स पहने हुए दिखाया गया है.

अमेरिकी हथियारों के साथ तालिबानी लड़ाके
अमेरिकी हथियारों के साथ तालिबानी लड़ाके

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Published : Sep 5, 2021, 10:14 PM IST

नई दिल्ली : तालिबान अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियारों का इस्तेमाल अफगानिस्तान पर अपने कब्जे के प्रतिरोध के आखिरी हिस्सों को कुचलने के लिए कर रहा है. डेली मेल ने यह जानकारी दी. देश के पूर्व उपराष्ट्रपति के नेतृत्व में लड़ाके कल रात पंजशीर घाटी में नए शासन की सेना के खिलाफ अंतिम बचाव कर रहे थे, एकमात्र प्रांत जिसे इस्लामी समूह ने कब्जा नहीं किया है.

लेकिन विद्रोही तालिबान लड़ाकों द्वारा अमेरिकी बख्तरबंद वाहनों, मोर्टार मिसाइलों और उच्च शक्ति वाले तोपखाने का उपयोग करते हुए दिखाई दिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में तालिबान के बंदूकधारियों को अमेरिकी सेना की एम4 और एम16 राइफलों की ब्रांडिंग करते और नाइट विजन गॉगल्स पहने हुए दिखाया गया है.

अमेरिकी बख्तरबंद वाहनों में यात्रा कर रहे तालिबान सैनिकों के एक काफिले को कल रात उस क्षेत्र की ओर जाते हुए फिल्माया गया, जहां प्रतिरोध लड़ाके काबुल से 70 मील उत्तर में अपनी जमीन पर कब्जा कर रहे थे. ऐसी भी खबरें थीं कि तालिबान बलों ने पंजशीर की राजधानी बाजारक में प्रवेश किया था.

अमेरिकी हथियारों के साथ तालिबानी लड़ाके

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एनआरएफ ने पिछले 24 घंटों में 600 तालिबान लड़ाकों को मार गिराने का दावा किया है, लेकिन तालिबान ने दावा किया कि यह जीत के कगार पर है और रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रांत के पांच में से चार जिले तालिबान के नियंत्रण में आ गए हैं. तालिबान के कुछ दिनों में घोषणा करने की उम्मीद है कि उसका नेता मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता होगा.

पंजशीर अफगानिस्तान के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट का गढ़ है, जिसका नेतृत्व दिवंगत गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह कर रहे हैं. तालिबान ने उस समय भी पंजशीर घाटी पर कब्जा नहीं कर सका था, जब उसने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था.

15 अगस्त को काबुल के पतन के बाद, तालिबान ने आरटीए (अफगानिस्तान में राष्ट्रीय रेडियो और टेलीविजन की सुविधा) में काम करने वाली कई महिला प्रजेंटर को भी हटा दिया था.

(आईएएनएस)

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