नई दिल्ली:दिल्ली और उससे सटे एनसीआर में प्रदूषण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर सुनवाई कर रहा है. इससे पहले पिछली सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने बार-बार प्रदूषण को रोकने के प्रयासों को लेकर असंतोष जताया था.
इस मामले से जुड़े सभी पक्ष जिम्मेदारी लेने के बजाय दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि, यहां 7 स्टार सुविधा में बैठे लोग किसानों पर जिम्मा डालना चाहते हैं. क्या उन्हें पता है कि औसत किसान की जमीन का आकार क्या है? क्या वह खर्च उठा सकते हैं?
किसानों की मदद कौन करेगा- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि, पंजाब सरकार यह कह रही है कि उसने पराली जलाने वाले किसानों के खेत में पानी छिड़क कर उसे बुझा दिया, लेकिन किसानों की मदद कौन करेगा? उन्हें गेहूं बोने को खेत तैयार करने के लिए सिर्फ 15-20 दिन का समय मिलता है. वहीं, कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आप कह रहे हैं कि NCR में पड़ने वाले 4 जिलों में वर्क फ्रॉम होम का आदेश दिया गया है. क्या आप दावा कर सकते हैं कि अब वहां गाड़ियां नहीं चल रहीं? आपने लोगों को उनकी मर्जी से काम करने की छूट दे रखी है.
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दिल्ली सरकार ने सड़क सफाई की कितनी मशीनें खरीदी हैं- सुप्रीम कोर्ट
मामले में एक और बात करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिलहाल कोई आदेश जारी करने का मतलब यह नहीं है कि कोर्ट मामले पर गंभीर नहीं है. केंद्र और राज्यों के ठोस कदम उठाने की हमें उम्मीद है. दिल्ली सरकार को भी लपेटे में लेते हुए कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सड़क सफाई की कितनी मशीनें खरीदी हैं? अगर 15 मशीन खरीद भी ली गई तो क्या उनसे 1000 किमी सड़क साफ हो जाएगी.