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Vivek Ramaswamy on India : यूएस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में शामिल विवेक रामास्वामी बोले, 'चीन नहीं, भारत से बेहतर संबंध रखने पर होगा फायदा'

भारतीय मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में, अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक विवेक रामास्वामी बढ़ते भारत-अमेरिका संबंधों के प्रबल समर्थक दिखे. उन्होंने कहा कि बिल क्लिंटन प्रशासन की शुरुआत के बाद से राजनीतिक गलियारे में कई राष्ट्रपति भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं.

Vivek Ramaswamy on India
विवेक रामास्वामी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 27, 2023, 11:30 AM IST

Updated : Aug 27, 2023, 1:25 PM IST

डेस मोइनेस (आयोवा) :भारतीय-अमेरिकी विवेक रामास्वामी अमेरिका में रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं. उन्होंने भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई से चीन के बरअक्स अमेरिका और भारत के संबंधों पर विस्तार से बात की. किसी भी भारतीय समाचार एजेंसी को दिये अपने साक्षात्कार में उन्होंने खुलकर मजबूत अमेरिका-भारत संबंधों की अपील की. उन्होंने कहा कि अमेरिका की यदि हर तरह से चीन पर अपनी निर्भरता खत्म करनी है तो उसे भारत के साथ अपने संबंधों को ओर मजबूत करना होगा. उन्होंने अंडमान में सैन्य संबंध सहित नई दिल्ली के साथ मजबूत रणनीतिक संबंधों का आह्वान किया.

अमेरिका आर्थिक रूप से चीन पर निर्भर :38 साल के रामास्वामी अब तक के सबसे कम उम्र के रिपब्लिकन दावेदार हैं. वह इस समय महत्वपूर्ण राज्य आयोवा के दो दिवसीय दौरे पर हैं. 15 जनवरी को आयोवा में 2024 रिपब्लिकन प्रेसिडेंशियल प्राइमरी सीजन की शुरुआत होगी. उन्होंने पीटीआई से बातचीत के दौरान कहा कि आज अमेरिका आर्थिक रूप से चीन पर निर्भर है. लेकिन भारत के साथ मजबूत रिश्ते के कारण अमेरिका चीन के साथ अपने संबंधों में और स्पष्टता लाते हुए उससे दूरी बना सकता है.

बढ़ते भारत-अमेरिका संबंधों के प्रबल समर्थक :रामास्वामी ने कहा कि अमेरिका को भारत के साथ एक मजबूत रणनीतिक संबंध रखना चाहिए. जिसमें अंडमान सागर में एक सैन्य गठबंधन भी शामिल है. यह जानते हुए कि भारत जलडमरूमध्य को अवरुद्ध कर सकता है जहां से वास्तव में चीन को अधिकांश मध्य पूर्वी तेल की आपूर्ति मिलती है. उन्होंने कहा कि ये अमेरिका-भारत संबंधों में वास्तविक सुधार के क्षेत्र हैं. करोड़पति बायोटेक उद्यमी से राजनेता बने रामास्वामी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुझे लगता है कि यह अमेरिका के लिए अच्छा होगा. यही कारण है कि मैं उसी के अनुसार नेतृत्व करूंगा. भारतीय मीडिया के साथ अपनी पहली बातचीत में, रामास्वामी बढ़ते भारत-अमेरिका संबंधों के प्रबल समर्थक दिखे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ:रामास्वामी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मुझे लगता है कि वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) भारत के लिए एक अच्छे नेता साबित हो रहे हैं. मैं अमेरिका-भारत संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनके साथ काम करने को उत्सुक हूं. उन्होंने अमेरिका की विदेश नीति पर बात करते हुए कहा कि अमेरिकी विदेश नीति की प्रमुख चुनौती यह है कि हम मातृभूमि की रक्षा नहीं कर रहे हैं. हम ऐसे युद्ध लड़ रहे हैं जो अमेरिकी हितों को आगे नहीं बढ़ाते. हमारी वर्तमान नीति वास्तव में अमेरिका को असुरक्षित बनाते हैं.

यूक्रेन को लेकर अमेरिका का वर्तमान रूख गलत:उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यूक्रेन को लेकर अमेरिका का वर्तमान रूख अमेरिका के लिए एक गलती है. उन्होंने कहा, इससे अमेरिकी राष्ट्रीय हित आगे नहीं बढ़ता. इसके विपरीत, मुझे लगता है कि यह वास्तव में वैश्विक मंच पर अमेरिकी विश्वसनीयता को बाधित करने वाला है. अमेरिका को कम्युनिस्ट चीन पर ध्यान देने की जरूरत है. यह सबसे बड़ा खतरा है. उन्होंने तर्क दिया कि सीमा की वास्तविक रक्षा क्षमताओं के साथ मातृभूमि की रक्षा करना घरेलू स्तर पर सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.

चीन को बताया सच्चा दुश्मन :रामास्वामी ने कहा कि परमाणु रक्षा से लेकर, परमाणु मिसाइल क्षमताओं, सुपर ईएमपी, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स स्ट्राइक, साइबर हमलों तक, हमें अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हम अब अपनी जिंदगी के आधुनिक तरीकों के लिए अपने सच्चे दुश्मन कम्युनिस्ट चीन पर निर्भर नहीं हैं. लेकिन दोनों पार्टियों में कई लोग उस प्राथमिकता को भूल गए हैं. इसके बजाय यूक्रेन पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

चीन, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका में आयात का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. पिछले साल, द्विपक्षीय व्यापार 690.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. चीन से अमेरिका का आयात 536.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. जो उसके कुल आयात का लगभग 17 प्रतिशत है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन को निर्यात 154 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो दुनिया में अमेरिका के कुल निर्यात का 7.5 प्रतिशत है. अमेरिकी कंपनियों का चीन में विशाल विनिर्माण नेटवर्क है. वे चीनी उपभोक्ताओं पर निर्भर हैं.

परिवार पर भी की बात: परिवार के बारे में बात करते हुए रमास्वामी ने कहा कि उनके दो बेटे हैं तीन साल का कार्तिक और एक साल का अर्जुन. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि उनके बच्चे वास्तव में इस यात्रा को लेकर उत्साहित होंगे. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा कार्तिक कह सकता है कि उसके पिता राष्ट्रपति पद की रेस में हैं. मुझे नहीं पता कि उसे इसका पूरा मतलब पता है या नहीं. वह अभी केवल तीन साल का है. लेकिन मुझे लगता है कि उसे इसका एहसास है कि कुछ महत्वपूर्ण हो रहा है.

उन्होंने कहा कि एक परिवार के रूप में सभी के लिए एक साझा लक्ष्य है. जब भी हम प्रचार वाली गाड़ी पर होते हैं तो वे वे उत्साहित होते हैं. उन्हें यह बस बहुत पसंद है. लेकिन मैं गंभीरता से सोचता हूं, मुझे लगता है कि वे जानते हैं कि उनके माता-पिता कुछ ऐसा कर रहे हैं जो महत्वपूर्ण है. वे भी उसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. रामास्वामी ने कहा, मैं इसके लिए आभारी हूं.

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अपने राष्ट्रपति पद के चुनाव में भारतीय अमेरिकियों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, रामास्वामी ने कहा कि तथ्य यह है कि मैं उन आप्रवासियों का बच्चा हूं जो इस देश में बिना पैसे के आए थे. मेरा अनुभव मुझे इस देश में दृढ़ विश्वास की भावना देता है. मुझे यह निश्चितता की भावना देता है कि अमेरिका में क्या संभव है. क्योंकि मैंने इसे जीया है और मैं इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के कर्तव्य की भावना महसूस करता हूं.

(पीटीआई)

Last Updated : Aug 27, 2023, 1:25 PM IST

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