भोपाल। भोपाल के सूरमाओं के साथ जुड़ा भोपाली टाइटल अपने आपमें सुकून देने वाला वो रोमांच हैं जो हर कोई महसूस नहीं कर सकता. तमाम लोग जो देश-दुनिया के किसी भी हिस्से में बस गए होंगे, लेकिन उनका नाम भोपाली तखल्लुस के साथ ही मुकम्मिल हो सका है. ये शोले के सूरमा भोपाली पर खत्म नहीं होता, भोपाली की कहानी शायर से लेकर सहाफी और तंज मजे से लेकर मैदान- ए- हॉकी तक भोपाली कई और भी हैं.
सूरमा भोपाली से पहले तखल्लुस भोपाली: शोले फिल्म में सूरमा भोपाली का जो कैरेक्टर 'अमां कां जा रिए' बोलता है और आप ठहाका लगाकर हंसते हैं. असल में इस रोल की इंस्पिरेशन जावेद अख्तर साहब को नाहर सिंह से मिली थी, ये आप जानते ही होंगे. लेकिन सूरमा भोपाली से लेकर आज के भोपाली जोक्स तक भोपालियों के जिस अंदाज पर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाते ये ज़ुबान, ये अंदाज़ तखल्लुस भोपाली का दिया हुआ था. तखल्लुस भोपाली ने पानदान वाली खाला और गफ्फूर मियां के नाम से दो कैरेक्टर तैयार किए थे जो तंज और मजे के उसी लहजे में बात करते थे जिसे आप आज भोपाली कहते हैं. वैसे सूरमा भोपाली के पहले भी फिल्म अधिकार में प्राण बन्ने खां भोपाली का किरदार निभा चुके थे. लेकिन भोपाली लहजे को शोले और सूरमा भोपाली के जरिए ही पूरी दुनिया में पहचान मिली. बाद में सूरमा भोपाली के नए जमाने के वर्जन के बतौर लईक भोपाली भी आए. लेकिन इनका वजन जरा कम था.
शायर असद भोपाली से मंजर भोपाली तक:उर्दू अदब में भोपाल का नाम बहुत तहजीब से लिया जाता है. और अगर ये कहा जाए कि उर्दू अदब में एक चौथाई काम भोपाल में ही मुकम्मिल हो गया तो गलत नहीं होगा. मशहूर शायर असद भोपाली से शुरू कीजिए फिर शैरी भोपाली जिनकी गजल नूरजहां की आवाज पाकर अमर हो गई. साहिर भोपाली भी उसी दौर के शायर. कुछ बी ग्रेड फिल्मों में इनकी शायरी इस्तेमाल भी हुई. वकील भोपाली, शाहिद भोपाली, अर्शी भोपाली, ज़ुल्फी भोपाली, मोहसिन भोपाली तक जो पाकिस्तान में रहे लेकिन उम्र भर भोपाली बनकर. आखिरी सांस भी भोपाली पहचान के साथ ही ली. इनमें भोपाल से जुड़े शायरों के दो अजीम नाम ताज भोपाली और कैफ भोपाली का है. इसी कड़ी में वो नाम जिनसे आज की पीढ़ी बावस्ता है वो हैं मंजर भोपाली.
शायरी में भोपाली बेहिसाब:भोपाली शायरों की फेहरिस्त लंबी है. अशरफ नदीम भोपाली का नाम सुना है आपने. सरवत जैदी भोपाली को जानते हैं. सहर भोपाली के साथ दखलन भोपाली भी शायर हुए हैं. अजमद भोपाली, अब्दुल मजीद भोपाली, जलील अनवर भोपाली, शमीमुद्दीन सैफ भोपाली, नासिर भोपाली, नुसरुद्दीन अनवर भोपाली, बेदार भोपाली देखिए तो सही भोपाल में भोपाली शायरों की भी फौज हुआ करती थी.