नई दिल्ली : इस वक्त हमारा देश COVID-19 महामारी से जूझ रहा है. ऐसी स्थिति में विभिन्न राज्य वैक्सीन की कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं.
धीमी पड़ सकती है टीकाकरण की रफ्तार हाल ही में अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज मॉडर्ना और फाइजर द्वारा राज्याें काे वैक्सीन मुहैया कराने से इनकार करने के बाद केंद्र सरकार पर फिर से राज्यों को उनकी मांग के अनुसार पर्याप्त संख्या में टीके उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी आ गई है.
धीमी पड़ सकती है टीकाकरण की रफ्तार आशंका है कि केंद्र बनाम राज्यों की इस लड़ाई से देश में टीकाकरण अभियान की गति धीमी पड़ी सकती है.
पंजाब सरकार द्वारा मॉडर्ना के इनकार के बारे में सूचित किए जाने के एक दिन बाद, दिल्ली सरकार ने भी सोमवार को कहा कि वैक्सीन निर्माताओं ने कहा है कि 'वे केंद्र सरकार से बात करेंगे.
दिल्ली सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को भी पत्र लिखकर केंद्रीकृत वैक्सीन खरीद और आवंटन नीति लाने की मांग की है. बता दें कि आने वाले महीनों में विभिन्न वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा तीसरी लहर की भविष्यवाणी से राज्य चिंतित हैं, इसलिए केंद्र सरकार से देशभर में टीकाकरण अभियान को तेज करने की मांग कर रहे हैं.
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष, डॉ. अरुण गुप्ता ने कहा कि पिछले एक साल से विभिन्न वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इस महामारी से लड़ने का एकमात्र तरीका टीकाकरण है, लेकिन किन्हीं कारणाें से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है. जिसके कारण हमें वैक्सीन की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्र ने राज्यों को सीधे टीके खरीदने के लिए कहा था जबकि वैक्सीन निर्माताओं ने अब राज्य सरकारों के साथ डील करने से इनकार कर दिया है. उन्हाेंने कहा कि अगर यह कमी जारी रही, तो हमारे देश को ऐसे ही काेराेना की लहराें का सामना करना पड़ेगा.
हालांकि, उन्हाेंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार युद्ध स्तर पर टीकाकरण अभियान को गति देगी. वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भारत में टीकों की कमी मूल रूप से भाजपा द्वारा निर्मित स्वास्थ्य संकट है.
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने इस मामले पर कहा, फाइजर/मॉडर्ना द्वारा पंजाब और दिल्ली के लिए वैक्सीन की अस्वीकृति दोनों राज्यों की जनता के लिए भाजपा द्वारा निर्मित स्वास्थ्य संकट है.
केंद्र सरकार ने बचाने के बजाय सभी राज्यों को संकट में धकेल दिया है. उन्हाेंने कहा कि वन विंडाे परचेज मैकानिज्म (एक खिड़की खरीद तंत्र) काे फाैरन लागू किया जाना चाहिए.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा था, 'केंद्र को सभी टीके खरीदने चाहिए और राज्यों को वितरित करना चाहिए. तभी सभी गांवों तक वैक्सीन पहुंच पाएगी. केंद्र सरकार इस साधारण सी बात को क्यों नहीं समझ पा रही है?'
टीकों की कमी के बीच विभिन्न राज्यों को 18-44 वर्ष के आयु वर्ग के टीकाकरण केंद्रों को बंद करना पड़ा है. यह नागरिकों के लिए चिंता का विषय है और साथ ही युवा पीढ़ी भी इस वायरस के संपर्क में आ रही है.
दिल्ली एनसीआर के रहने वाले अभिनव ने ईटीवी भारत को बताया कि कई प्रयासों के बावजूद वह टीकाकरण के लिए स्लॉट बुक करने में असफल रहा.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि उनकी मां को एक महीने पहले कोवैक्सिन दिया गया था और अब टीकों की कमी के कारण, उन्हें चिंता है कि क्या उनकी मां को समय पर दूसरी खुराक मिल पाएगी.
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वहीं, सवोदय विद्यालय, विनोद नगर पश्चिम के टीकाकरण प्रभारी सत्येंद्र मलिक ने बताया कि टीकाकरण केंद्र को 18-44 वर्ष के लोगों के टीकाकरण की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण इसे रोकना पड़ा. केंद्र में पहले टीकाकरण के लिए 5 साइटें थीं जो अब 3 हो गई हैं.