नई दिल्ली : राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की अध्यक्षता में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लेकर गठित संसदीय स्थायी समिति ने सदस्यों द्वारा सहयोग न करने और सदस्यों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की है. इसके अलावा समिति ने समग्र बजटीय आवंटन में भारी कमी को लेकर भी चिंता जताई. विशेष रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिए समिति ने चिंता जाहिर की.
पर्यावरण के मामलों में नॉन ट्रैन्स्पेरन्सी के मुद्दे की ओर इशारा करते हुए समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस तरह का रवैया न केवल उनके संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में बाधा डालता है, बल्कि लोगों के प्रति उनकी जवाबदेही को बाधित करता है.
इसके अलावा समिति ने CAMPA फंड के मुद्दे पर संप्लीमेंट्री एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) रिपोर्ट जमा न करने पर गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की. समिति ने मंत्रालय को अगले दो सप्ताह में एटीआर जमा करने को कहा है.
समिति ने सिफारिश की कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को राज्य सरकारों के साथ-साथ अपने स्वयं के अधिकारी को संवेदनशील बनाने के लिए उनकी शिकायते सुनें. उनका संवाद करें और उनके द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए.
2020-21 में अनुदान रिपोर्ट में समिति ने बड़ी संख्या में पौधों के रोपण का मुद्दा उठाया था और इस तरह के मामलों में भ्रष्टाचार की आशंका भी व्यक्त की थी.
समिति का मानना है कि एक साल बीत चुका है और समिति अभी भी वृक्षारोपण अभियान में गड़बड़ी के मामले में आशंकित है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने टिप्पणी की कि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को इस मोर्चे पर चिंताओं को पारदर्शी तरीके से ऑडिट के माध्यम से भेजना चाहिए, जिसे सार्वजनिक प्रतिनिधियों और नागरिक समाज दोनों द्वारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है.