मुंबई : शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, भले ही माओवादी कश्मीरी अलगाववादियों से ज्यादा खतरनाक हों.
पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक स्तंभ रोखठोक में राउत ने हैरानी जताई कि क्या भारत की नींव इतनी कमजोर है कि 84 साल का बुजुर्ग व्यक्ति उसके खिलाफ जंग छेड़ सकता है और कहा कि मौजूदा सरकार की आलोचना करना देश के खिलाफ होना नहीं है.
स्वामी (84) संभवत: भारत में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति होंगे, जो आतंकवाद के आरोपी थे. उनका हाल में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था. स्वास्थ्य आधार पर उनकी जमानत का मामला अदालत में लंबित था.
'सामना' के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा, 84 वर्षीय दिव्यांग व्यक्ति से डरी सरकार चरित्र में तानाशाह है, लेकिन दिमाग से कमजोर है. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में वरवर राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और अन्य की गिरफ्तारी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि एल्गार परिषद की गतिविधियों का समर्थन नहीं किया जा सकता, लेकिन बाद में जो हुआ उसे स्वतंत्रता पर नकेल कसने की एक साजिश कहा जाना चाहिए.
राउत ने कहा कि (इस मामले में) गिरफ्तार किए गए सभी लोग, (विद्वान-कार्यकर्ता) आनंद तेलतुंबडे समेत, एक विशेष विचारधारा से आते हैं जो साहित्य के जरिये अपनी बगावत को आवाज देते हैं. उन्होंने पूछा, क्या वे इससे सरकार का तख्ता पलट कर सकते हैं?