वाराणसी : काशी की लता मंगेशकर सम्मान से विभूषित मंगला कपूर के जीवन का सफर काफी मुश्किलों से भरा रहा है.
मंगला आपसी रंजिश में छोटी उम्र में एसिड अटैक का शिकार हुईं. हालत इतनी ज्यादा खराब हुई कि एक के बाद एक अलग-अलग शहरों में उन्हें 37 ऑपरेशन कराने पड़े. इस बीच 2007 में एक एक्सीडेंट के दौरान उनकी जांघ की दोनों हड्डियां भी टूट गई.
लोगों को लगा कि अब मंगला कपूर का सफर खत्म हो गया, लेकिन वह फिर ठीक होकर लोगों के बीच आईं. शारीरिक परेशानी के साथ ही साथ उन्हें लोगों के ताने भी सुनने पड़े. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने हौंसले के दम पर वह बीएचयू में गोल्ड मेडलिस्ट बनी.
वह बीएचयू में मंच कला एवं संगीत संकाय विभाग में प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट भी रहीं. 2019 में रिटायर होकर उनका सफर अभी भी जारी है. इस बीच उन्होंने चार पुस्तकों का लेखन किया है. जल्द ही सीरत नाम से उनकी जीवनी भी आने वाली है. वह आज की महिलाओं और बेटियों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं.
व्यापारिक रंजिश में हुईं एसिड अटैक की शिकार
मंगला कपूर के परिवार में बनारसी साड़ी का कारोबार होता था. व्यापारिक एवं आपसी रंजिश के कारण तीन भाइयों की अकेली बहन की खूबसूरती को छीनने के लिए उनपर एसिड अटैक किया गया. उस समय कक्षा सात में पढ़ने वाली मंगला को समझ में नहीं आया कि उनके जीवन में कौन सा पहाड़ टूट पड़ा.
डॉक्टरों की निगरानी में बनारस से कभी पटना, तो कभी बनारस अलग-अलग शहरों में उनके इलाज का सिलसिला शुरू हुआ. इस दौरान मंगला को 37 से ज्यादा ऑपरेशन कराने पड़े.
प्रोफेसर मंगला ने बताया कि इतने ऑपरेशन के बाद जाकर वह आज बैठने एवं बातचीत करने की स्थिति में हैं. उन्होंने बताया कि चेहरे पर विकृति इतनी ज्यादा थी कि उसे देखना किसी के लिए संभव ही नहीं था. बच्चे ही नहीं बड़े भी उनको देखकर डर जाते थे.
मंगला कपूर ने बताया कि इस स्थिति से उबरने के लिए माता पिता ने हमेशा प्रेरित किया. माता-पिता हमेशा कहते थे कि जीवन में जो घटना था वह घट गया.
मंगला कपूर ने बताया कि जब वह बाहर निकलती थीं तो बहुत व्यंग सुनने को मिलते थे. अनेक उपाधियां दी जाती थीं, नाक कटी जैसी नामों से संबोधित किया जाता था. जिससे बहुत दुख होता था.
उन्होंने बताया कि वह कभी हतोत्साहित नहीं हुईं. लोगों की बातें सुनकर एहसास हुआ कि कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे सबके मुंह बंद हो जाएं. मंगला ने बताया इसके बाद उन्होंने प्राइवेट पढ़ना शुरू किया.