नई दिल्ली :सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सड़क दुर्घटना में किसी ऐसे व्यक्ति को कुछ कार्य या चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, जिसके खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाया गया हो.
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक फैसले के खिलाफ एक महिला और उनके नाबालिग बच्चों की अपील पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की.
उच्च न्यायालय ने कहा था कि महिला के दिवंगत पति भी लापरवाही के दोषी हैं. ट्रक से टक्कर में संलिप्त कार इस महिला के पति रहे थे और वह भी लापरवाही में योगदान के दोषी हैं. अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला और उनके नाबालिग बच्चे मुआवजे की निर्धारित राशि के केवल 50 प्रतिशत के हकदार हैं.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का निर्णय पलटते हुये कहा कि कुछ असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है.
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का निष्कर्ष ऐसे किसी सबूत पर आधारित नहीं है. यह महज एक अनुमान है कि यदि कार का चालक सतर्क होता और यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन सावधानीपूर्वक चलाता, तो यह दुर्घटना नहीं होती.