चंडीगढ़ :चंडीगढ़ : पंजाब सरकार की ओर से 424 से ज्यादा लोगों को दी गई सुरक्षा वापस लेने को लेकर पंजाब सरकार अब विवादों में घिर गई है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा है कि किस आधार पर सुरक्षा वापस ली गई है और अगर सुरक्षा वापस ली गई है तो सूची कैसे सार्वजनिक हुई. पंजाब सरकार को इस संबंध में अगली सुनवाई में सीलबंद रिपोर्ट देनी होगी. कांग्रेस के पूर्व विधायक ओपी सोनी ने सोमवार को अपनी सुरक्षा वापस लेने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के दौर में उन्हें भारत-पाक सीमा पर कंटीले तार लगाने का काम सौंपा गया था. इसके बाद उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई थी.
ओपी सोनी का कहना है कि उसके पास तब से Z-श्रेणी की सुरक्षा है. अब अचानक से 19 जवानों को उनकी सुरक्षा से हटा दिया गया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा करना पूरी तरह से अनुचित है क्योंकि उनकी तरह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और सुखजिंदर रंधावा को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली है. दोनों की सुरक्षा को बरकरार रखा गया है जबकि याचिकाकर्ता की सुरक्षा कम कर दी गई है. ओपी सोनी के अलावा 423 से ज्यादा लोग जिनकी सुरक्षा कम कर दी गई है, वे हाई कोर्ट में सुरक्षा कटौती को चुनौती देने लगे हैं. अकाली नेता वीर सिंह लोपोके ने भी सुरक्षा वापस लेने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सुरक्षाकर्मियों की तत्काल व्यवस्था करने का आदेश दिया.
सरकार को सीलबंद रिपोर्ट 2 जून को देनी होगी. साथ ही हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा है कि किस आधार पर सुरक्षा वापस लेने का फैसला लिया गया और सूची को कैसे सार्वजनिक किया गया. पंजाब सरकार को इस संबंध में अगली सुनवाई में सीलबंद रिपोर्ट देनी होगी. उच्च न्यायालय ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब सरकार से पूछा कि क्या सुरक्षा वापस लेते समय हर व्यक्ति की पूरी जानकारी एकत्र की जाती है. साथ ही पूछा गया कि क्या कारण है कि सूची को सार्वजनिक किया गया. ऐसा करने से इन लोगों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई.
इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न लोगों को दी जाने वाली सुरक्षा का भी ध्यान रखती है और कुछ की सुरक्षा कम कर दी जाती है और कुछ को समाप्त कर दिया जाता है लेकिन इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है. इसे सार्वजनिक करना ऐसे लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालने के समान है.