नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें सुपरस्टार शाहरुख खान और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द किया गया था. वर्ष 2017 में वडोदरा रेलवे स्टेशन पर एक फिल्म के प्रोमोशन के दौरान भगदड़ मच जाने के बाद शाहरुख एवं अन्य पर मुकदमा दर्ज किया गया था, जिसे उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था.
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने मूल शिकायतकर्ता जितेंद्र मधुभाई सोलंकी उर्फ पप्पू द्वारा दायर अपील खारिज कर दी, जिसने 27 अप्रैल, 2022 के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी. पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने को इच्छुक नहीं है.
सोलंकी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने निष्कर्ष में त्रुटि की और प्रतिवादी (शाहरुख खान और अन्य) के खिलाफ मामला खारिज कर दिया. शाहरुख की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, अधिवक्ता रुबी सिंह और कानूनी फर्म करंजावाला एंड कंपनी के अधिवक्ता संदीप कपूर ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने मामले को सही परिप्रेक्ष्य में खारिज किया था और इसने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद एक विस्तृत फैसला पारित किया था.
अदालत ने कहा था कि फिल्म रईस के प्रचार के दौरान अभिनेता के किसी भी कृत्य को लापरवाही या घोर लापरवाही का नाम नहीं दिया जा सकता, न ही यह कहा जा सकता है कि शाहरुख के किसी कार्य के प्रभाव की वजह से रेलवे स्टेशन पर अनियंत्रित घटनाएं हुई हैं. फिल्म के मुख्य अभिनेता खान ने इसके प्रचार के तहत मुंबई से नयी दिल्ली के लिए ट्रेन की यात्रा की थी.
आरोप है कि वडोदरा रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी के रुकने से भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई थी, जहां कुछ लोग घायल हो गए और कुछ बेहोश हो गए.