नई दिल्ली : सेवा में वरिष्ठता के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी जब सेवा में नहीं था, उस समय से वरिष्ठ होने का दावा नहीं किया जा सकता. अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठता तय करते समय ध्यान में रखना आवश्यक है कि जब तक अदालत द्वारा निर्देश नहीं दिया जाता या लागू नियमों में स्पष्ट रूप से प्रावधान नहीं है, तब तक पूर्व प्रभाव से वरिष्ठता की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पहले सेवा में प्रवेश करने वाले अन्य लोग प्रभावित होंगे.
दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा एक व्यक्ति की नौकरी में पूर्व प्रभाव से वरिष्ठता को चुनौती देने वाली अपील मंजूर करते हुए कहा कि उस तारीख से वरिष्ठता का दावा नहीं किया जा सकता है जब कर्मचारी सेवा में नहीं था.
शीर्ष अदालत में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, 'सेवा कानून के क्षेत्र में न्यायशास्त्र हमें सलाह देगा कि पूर्व प्रभाव से वरिष्ठता का दावा उस तारीख से नहीं किया जा सकता है जब कोई कर्मचारी सेवा में भी नहीं था.'
शीर्ष अदालत पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार सरकार द्वारा दाखिल एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के एक निवासी द्वारा पूर्व प्रभाव से वरिष्ठता दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिका को अनुमति दी गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में संबंधित व्यक्ति के पिता होमगार्ड के रूप में काम कर रहे थे और उनकी मृत्यु के बाद बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था.