मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस जारी किया, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए अध्यक्ष को निर्देश देने की मांग की गई थी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर स्पीकर और अन्य से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. दरअसल विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर (Assembly Speaker Rahul Narvekar) को शिंदे गुट के 16 विधायकों को पत्र लिखने का फैसला लेने में समय लग रहा है, इसलिए ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि इस संबंध में तुरंत सुनवाई की जाए.
चीफ जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़, नरसिम्हा और मिश्ना की बेंच के सामने शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस बीच कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के कामकाज का अवलोकन दर्ज करते हुए अगले दो सप्ताह में लिखित जवाब देने का निर्देश दिया है. अब विधानसभा अध्यक्ष क्या जवाब देंगे ये देखना अहम है.
राज्य में सत्ता संघर्ष और 16 विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 9 महीने बाद अपना फैसला सुनाया. सत्ता संघर्ष का मामला सात जजों की संवैधानिक पीठ को भेजा गया है. विधानमंडल की विशेष शक्तियों के तहत 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला विधानसभा अध्यक्ष को भेजा गया था.
करीब दो महीने बीत जाने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं लिया है. इसे लेकर ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने याचिका दायर की थी.
याचिका में कहा गया है कि 'एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में अपने संवैधानिक कर्तव्यों की खुलेआम अवहेलना करते हुए स्पीकर ने अयोग्यता याचिकाओं के फैसले में देरी करने की कोशिश की है, जिससे एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में अवैध रूप से बने रहने की अनुमति मिल गई है, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लगभग एक साल से लंबित हैं.'