पटना:हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की सोमवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन सहित 51 सदस्यीय टीम मौजूद थे. बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने कहा की पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक हुई सभी लोगों से विचार किया गया और सभी पहलू पर बात हुई. इस दौरान उन्होंने एक बार फिर से थर्ड फ्रंट की बात दोहराई.
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बोले संतोष सुमन- 'हमारे सामने सारे विकल्प खुले': संतोष सुमन ने कहा कि हम दिल्ली जा रहे हैं. हमारे पार्टी के संरक्षक मांझी जी भी दिल्ली जा रहे हैं. एनडीए के नेताओं से बात होनी है. साथ ही संतोष सुमन ये भी साफ कर दिया कि अभी एनडीए के साथ जाने को लेकर फैसला नहीं हुआ है. सारे विकल्पों पर विचार करने की बात कही है.
जीतन राम मांझी ने नहीं दिया जवाब: वहीं इस पूरे मुद्दे पर जब जीतन राम मांझी से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं कहा. मांझी के बगावती तेवर देखने को नहीं मिले. उन्होंने कहा कि दिल्ली से आने के बाद ही कुछ कहेंगे.
राज्यपाल से मिले:संतोष सुमन ने तीन से चार दिनों में पार्टी का स्टैंड क्लियर करने की बात की है. वह बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से भी मिले. इसके लिए समय की मांग की गई थी. जीतन राम मांझी और संतोष सुमन ने राज्यपाल से मिलकर नीतीश सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंप दिया.
हम पार्टी तीन से चार दिन में लेगी बड़ा फैसला: साथ ही पार्टी की ओर से यह भी बताया जा रहा है कि देश में कई लाइक माइंडेड पार्टियां हैं, जिनसे बात होती हैं. कई सारे एनजीओ से भी बात की जाएगी. साथ ही कई सारे सामाजिक कार्यकर्ताओं से राय मशविरा करने के बाद आगे क्या करना है इसका फैसला लिया जाएगा.
13 जुलाई 2023 को संतोष सुमन का इस्तीफा: 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक से पहले हम पार्टी ने नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया. जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने नीतीश कैबिनट से इस्तीफा दे दिया. हालांकि नीतीश कुमार ने कहा कि चले गए अच्छा हुआ, नहीं तो विपक्षी दलों की बैठक की सब बात जाकर बीजेपी को बता देते.
NDA में जा सकते हैं मांझी!: पिछले कुछ समय से बिहार की सियासत में चर्चा जोरों पर है कि मांझी एनडीए में वापस जा सकते हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मांझी महागठबंधन के सीट शेयरिंग से खुश नहीं थे और ऐसे में बीजेपी से उनकी डील हो गई है. मांझी ने किसी भी राज्य का राज्यपाल बनाने, बेटे के लिए गया लोकसभा सीट के साथ ही एमएलसी सीट की मांग रखी है.
बीजेपी की क्या है रणनीति?: दरअसल बीजेपी बिहार में दलित महादिल और कुशवाहा वोट बैंक को साधना चाहती है. इसके लिए मांझी के साथ ही चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा भी बीजेपी के लिए जरूरी हैं. बिहार में दलित और महादलित को मिलाकर करीब 16 प्रतिशत वोटर हैं. इसमें से मांझी जिस मुसहर समाज से आते हैं,उनका वोट फीसदी लगभग 5.5 प्रतिशत है. मांझी जिसके साथ जाएंगे उसको इसका फायदा जरूर होगा.
वहीं महादलित कैटगरी से आने वाले मांझी के चेहरे पर मिलने वाला वोट छिटक भी सकता है, बीजेपी ऐसा होने देना नहीं चाहती है. दलित और महादलित वोट मिलाकर कुल 16 फीसदी में से करीब 6 फीसदी चिराग पासवान और उनके चाचा के पासा है.ऐसे में बीजेपी पिछले कुछ समय से चिराग पासवान के लिए भी काफी नरमी दिखा रही है.
वहीं बीजेपी, उपेंद्र कुशवाहा और सम्राट चौधरी के बहाने लव-कुश समीकरण को तोड़ने की कोशिश में है. कुशवाहा समाज का वोट बैंक लगभग पांच से छह फीसदी माना जाता है. वहीं लव यानी कुर्मी समुदाय की आूादी 2.5 से तीन फीसदी के करीब है. बीजेपी की नजर इन तीनों वोट बैंक पर है.
बीजेपी के साथ अगड़ी जाति का वोट:बिहार में मुख्य रूप से चार बड़ी अगड़ी जाति है,जो बीजेपी का स्ट्रांग वोट बैंक है. भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और लाला को राजनीतिक गलियारे में सांकेतिक भाषा में भूराबाल कहा जाता है. ठीक वैसे ही जैसे मुस्लिम-यादव समीकरण को एमवाई कहते हैं. पहले यह वोट कांग्रेस के साथ था. वहीं लालू की राजनीति ने इस वोट बैंक को बीजेपी के करीब कर दिया. अगड़ी जातियों की आबादी 15 से 20 प्रतिशत के बीच है जो अब बीजेपी के साथ मानी जाती है.