नई दिल्ली :रूस की ओर से दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने बाद से यूक्रेन संकट और गहरा गया है. इस कारण युद्ध की आशंका भी बढ़ गई है. अगर युद्ध हुआ तो यूरोप में ऊर्जा संकट ( energy crisis of Europe) गहरा जाएगा. ऐसे में यूरोप और अमेरिका की नजर अब कतर पर टिक गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद यूरोप में होने वाले ऊर्जा संकट से कतर ही उबार सकता है.
कतर की इस खासियत के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति ने 31 जनवरी, 2022 को उसे एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी घोषित किया था. रूस-यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में अमेरिका के यह फैसला एक नई रणनीति की ओर इशारा करता है. अमेरिका ऊर्जा के लिए रूस पर यूरोप की निर्भरता को खत्म करने के लिए कतर का उपयोग विकल्प के तौर पर कर सकता है. पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने रणनीतिक बदलाव की ओर इशारा करते हुए बताया कि पिछले महीने कतर के अमीर को संयुक्त राज्य अमेरिका में आमंत्रित किया गया था. वाशिंगटन में कतर को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा दिया गया था. अमेरिका के इस कदम का मकसद यूरोपीय राष्ट्रों के लिए वैकल्पिक ऊर्जा आपूर्ति प्राप्त करना है.
पूर्व राजदूत त्रिगुणायत का मानना है कि ऊर्जा के क्षेत्र में कतर अब एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है और वह सबसे बड़े ऊर्जा भंडार वाले सबसे अमीर देशों में गिना जाता है. मगर कतर का गैस भंडार यूरोप के लिए पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि यूरोपीय देशों की आवश्यकता बहुत अधिक है. अभी यूरोपीय देश रूस से मिलने वाले गैस पर निर्भर हैं. युद्ध के बाद अगर नाटो देश रूस पर प्रतिबंध लगाते हैं तो यूरोप में गैस की कमी हो जाएगी और वहां महंगाई भी बढ़ सकती है, जिससे वहां के लोगों के लिए मुश्किल हो जाएगी.
लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) के उत्पादन के मामले में कतर दुनिया में दूसरे नंबर पर है. यदि रूस आक्रमण करता है तो अंतराष्ट्रीय दबाव के कारण नॉर्ड-स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पर काम भी रुक जाएगा. इससे सबसे पहले यूरोप प्रभावित होगा. हालांकि नॉर्ड-स्ट्रीम 2 पाइपलाइन अभी तक पूरी तरह से चालू नहीं है. अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों को यह भरोसा दे रहा है कि वह युद्ध की स्थिति में भी गैस और ऊर्जा आपूर्ति की नियमित मांगों को पूरा करने के लिए उन्हें वैकल्पिक रास्ता तैयार कर रहा है. इसके लिए वह कतर को तैयार कर रहा है. हालांकि कतर पहले भी यूरोप को गैस और एनर्जी की सप्लाई कर रहा है.
रूस-यूक्रेन संकट के बीच सोमवार को एक दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी गैस एनर्जी के शिखर सम्मेलन के लिए पहली बार कतर पहुंचे. परमाणु समझौते का पालन नहीं करने कारण ईरान पर विश्व के कई देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं. ईरान को परमाणु समझौते पर राजी करने के लिए वियना में वार्ता भी हो रही है. माना जा रहा है कि ईरान और कतर के नेताओं के बीच भी परमाणु समझौते पर सहमत की संभावनाओं पर चर्चा हुई.