हैदराबाद : म्यांमार के सैन्य शासन ने 2003 में अर्ध-लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर एक निर्णायक कदम उठाया था. यह सात चरणों में उठाए गए कदमों का परिणाम था. इसके बाद 2008 में सेना ने देश के लिए नए संविधान का निर्माण किया. उसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की शुरुआत की. आपको बता दें कि म्यांमार की सेना को 'तातमदाव' कहा जाता है. तातमदाव की आधिकारिक रिलीज के आधार पर म्यांमार में सेना की स्थिति के बारे में पांच बातें अहम हैं.
एक देश, दो व्यवस्था
यू थीन सीन प्रशासन (2010-15) के दौरान सेना और नागरिकों के बीच बहुत अच्छे संबंध नहीं रहे. फिर भी दो संस्थागत व्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा बैठकों की बदौलत प्रशासन ठीक ढंग से चलता रहा. नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) प्रशासन के दौरान यह व्यवस्था प्रभावित हो गई. सैन्य और नागरिक एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी की वजह से तातमदाव एक नए संस्थान के रूप में उभरा. राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीच तातमदाव राज्य के समानान्तर संस्था के रूप में कार्य कर रहा है. इसे हर क्षेत्र में देखा जा सकता है. फिर चाहे कोविड के खिलाफ कदम उठाने की रणनीति बनाने की बात हो या अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर लिए जाने वाले फैसले. 22 दिसंबर 2020 को कमांडर-इन-चीफ वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने कहा कि तातमदाव और राष्ट्र दोनों आवश्यक संस्थान है और सरकार को बनाए रखने के लिए रक्षा कर्तव्य सर्वोपरि है. वैसे, उन्होंने ये भी कहा कि सेना न तो खुद को राज्य के ऊपर या उसके नीचे देख रही है. यह एक समानान्तर संस्था है. यह रक्षा कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से जिम्मेदार है.
रक्षा कर्तव्यों का दायरा बढ़ा
इन रक्षा कर्तव्यों का दायरा अन्य क्षेत्रों को शामिल करने के लिए बाहरी और आंतरिक खतरों से भी विस्तारित हुआ है. राष्ट्रीय हितों की रक्षा, संप्रभुता की रक्षा और मानवीय सहायता, आपदा राहत के नए क्षेत्र को अब रक्षा डोमेन में शामिल कर लिया गया है.
राष्ट्रीय हित की बदली परिभाषा
म्यांमार की राष्ट्रीय राजनीति, धर्म और शासन (बौद्ध धर्म), परंपराओं और रीति-रिवाजों और संस्कृति का बचाव करने के लिए तातमदाव को राष्ट्रीय हित के दायरे में फिर से परिभाषित किया गया है. इसके पहले राष्ट्रीय हित को जाति, धर्म और परंपरा के साथ परिभाषित किया गया था. यह पहली बार है जब तातमदाव के रक्षा कर्तव्य की भूमिका को अलग से परिभाषित किया गया है.
रक्षा कर्तव्यों के प्राथमिक उद्देश्य की भूमिका हासिल करने के बाद अब वह राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में भी अभिभावक की भूमिका निभा रही है. उसके लिए उसने कदम उठाए हैं. तातमदाव को अन्य सभी संस्थानों, विचारधाराओं और राजनीतिक दलों के ऊपर दर्शाया गया है. नैतिक रूप से सबसे श्रेष्ठ.