रीवा।एक नन्हे से बच्चे का बड़ा कारनामा सामने आया है. बच्चे की उम्र 16 माह है. बच्चे की मेमोरी पावर अदभुत है. इससे वह सेकंडो में चीजों की पहचान कर लेता है. यशस्वी मिश्रा (Yashasvi Mishra of Rewa) को अपनी इन्ही अद्भुत झमताओं के चलते पहले लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड से नवाजा जा चुका है. इसके 2 महीने के भीतर ही इस बच्चे ने हावर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा लियाा है. यशस्वी को मात्र 14 माह की उम्र में लंदन की वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड एजेंसी ने खिताब से नवाजा था.
195 देशों के झंडे को पहचानता है रीवा का लिटिल गूगल बॉय अद्भुत मेमोरी पॉवर: गूगल सर्च इंजन को तो सब जानते हैं कि कुछ भी सर्च करें तो फटा-फट जानकारियां स्क्रीन पर मिलने लगती है. ऐसे ही एक सर्च इंजन के नाम से मशहूर रीवा के एक बच्चे ने इंटरनेशनल वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड को अपने बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया. जी हां यह नन्हा सा बच्चा और कोई नहीं बल्कि रीवा का 16 माह का यशस्वी मिश्रा है. (rewa yashasvi mishra 16 months age made world record) जन्म के समय से ही यशस्वी ने अद्भुत मेमोरी पॉवर विकसित की 16 माह का होते होते यह कारनामा करके दिखाया है. आप इस बच्चे से दुनिया के कई देशों के फ्लैग उनकी भाषा और करंसी से लेकर कुछ भी पूछ सकते हैं वह सेंकड्स में आंसर देता है.
16 माह की उम्र में तीन रिकॉर्ड MP के 'गूगल ब्वॉय' ने रच दिया इतिहास, 14 माह की उम्र में पहचाने 26 देशों के फ्लैग
लंदन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज कराया था नाम: जब यशस्वी मिश्रा 14 महीने का था तब माता-पिता ने उसे यह जानकारी दी थी. इसके चंद सेकेंड के भीतर दोबारा पूछने पर उसने सभी देशों के झंडों को पहचान लिया. तब इसके माता-पिता को यह एहसास हुआ कि, यशस्वी में अद्भुत प्रतिभा है. 16 माह के यशस्वी 14 महीने की उम्र में ही 26 देशों के राष्ट्रीयध्वजों को एक बार में पहचान कर सब को हैरत में डाल दिया था. अब यशस्वी के लिए यह बाएं हाथ का खेल बन गया है.
195 देशों के झंडे पहचानता है यशस्वी: यशस्वी मिश्रा ने 14 महीने की उम्र में 26 देशों के झंडे को पहचानते हुए वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन में अपना नाम दर्ज कराया था. दो महीने बाद 16 माह की उम्र में तकरीबन 195 देशों के झंडों तथा उनकी राजधानियों को पहचान कर हावर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के साथ ही इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है.
लंदन वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड दो साल का गूगल ब्वॉय देवांश, दिमाग में बसा है देश-दुनिया का नाम
परिवार का नाम विश्व में रोशन: यशस्वी के दादा अवनीश मिश्रा पेशे से शिक्षक है और वर्तमान में वह रीवा के दुआरी हायर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत हैं. जबकि, यशस्वी की माता शिवानी मिश्रा और पिता संजय मिश्रा बिजनेस मैन है. 16 महीने के यशस्वी के इस आश्चर्यचकित उपलब्धि को देखते हुए यशस्वी के दादा,माता, और पिता सभी यशस्वी को नाम रोशन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.अब इस बालक ने अपनी क्षमता का लोहा विंध्य ही नहीं विश्व स्तर पर मनवा दिया है और अपनी पहचान गूगल बॉय के नाम से बना ली है.